हरिनाम की बहुत महिमा है।
आप चाहे कोई भी हों, आप धार्मिक हैं अथवा अधार्मिक हैं, आप चाहे पुण्यवान हैं या पापी हैं, ये भगवद् नाम इतना प्रभावशाली है कि ये भगवान के दर्शन करा देता है।
श्रील जीव गोस्वामी जी बताते हैं कि हरिनाम निरन्तर करते रहने से…………नाम का दिव्य स्वरूप हृदय में प्रकाशित हो जायेगा। उस स्थिती में नाम अपने आप ही होने लगेगा।
फिर भगवान का रूप हृदय में स्फुरित होगा, फिर भगवान के गुण स्फुरित होंगे, फिर परिकर, फिर भगवान का धाम स्फुरित होगा और फिर भगवान की लीलायें स्फुरित होंगी।
हरिनाम का अंतिम लक्ष्य है कि हमारे हृदय में भगवान की लीलायें प्रकाशित हों। हम भगवान की लीलाओं का आनन्द लेते रहें।
और जिन लीलाओं का दर्शन करते हुए हम शरीर त्यागते हैं, हमें भगवद् धाम में उन्हीं लीलाओं में प्रवेश मिलता है।
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