रविवार, 4 सितंबर 2022

जब नन्हे गोपाल गोशाला में गये

नन्हे गोपाल और नन्हे बलराम। एक बार दोनों भाई चलते-चलते गोशाला में घुस गये।

दोनों एक बछड़े के पास खड़े-खड़े बात करने लगे। बछड़े की पूंछ पकड़ कर बात कर रहे हैं कि ये क्या है? हमारे तो है ही नहीं?

कन्हैया ने एक की पूंछ पकड़ ली और बलराम जी ने दूसरे की। वो बछड़े तो घबरा गये कि ये क्या हुआ? 

जब बछड़े इधर-उधर भागने लगे तो ठाकुर भी उनके साथ इधर-उधर होने लगे। किसी को छोड़ना तो जानते ही नहीं हैं

छोटे से हैं दोनों बछड़ों के पीछे-पीछे लुड़कने लगे।

उनकी ऐसी स्थिति देखकर गोपियाँ शोर मचाने लगीं सभी गोप-गोपी अपना काम छोड़ कर भागे आये और देखा कि दोनों कुमार बछड़ों के पीछे-पीछे लुड़क रहे हैं कभी वृज की रज में, कभी गो-रस में, कभी गोबर में, साथ में हँस भी रहे हैं इनको हँसते देख सभी आनन्दित हो रहे हैं



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