शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

श्रीश्याम-सुन्दर भगवान ने इस भक्त की इच्छा को भी पूरा कर दिया

श्रीकृष्ण अपने रूप से सभी गोपियों को मुग्ध करते। सभी गोपियों की इच्छा होती कि ये हमारी गोद में खेलें, हम इन्हें खिलायें, दुलारें............... 

भगवान तो भक्त-वत्सल हैं, सभी भक्तों की इच्छा को पूरा करना जानते हैं

कभी-कभी ऐसे रोते कि चुप ही नहीं होंगे। मैया फिर गोपी को दे देतीं कि इसे चुप कराओ। कन्हैया उसकी गोद में जाते ही चुप हो जाते। इस प्रकार कभी किसी गोपी के पास तो कभी किसी गोपी के पास।

ऐसे करते हुए सभी गोपियों की इच्छा को पूरा करते कि नन्हें कृष्ण उनकी गोद में खेल रहे हैं, वे उन्हें दुलार रही हैं, पुचकार रहीं हैं आदि।

एक बार एक गोपी की इच्छा थी कि कोई भी पास में न हो और केवल वो ही कन्हैया को दुलारे, प्यार करे, गोद में खिलाये।

एक दिन श्रीकृष्ण सबकी आँख बचाकर बाहर बरामदे तक चले आये। सभी काम में व्यस्त थे। उसी गोपी ने जब लाला को पालने में नहीं देखा तो बोलीं-- लाला कहाँ है?

मैया घबरा गईं! अभी तो यहीं था, कहाँ गया? सभी लाला को ढूँढने लगे।

ऐसे में वो गोपी बरामदे में आ गई और लाला को वहीं पर देख चिल्लाई-- मिल गया, लाला मिल गया।

मैया ने भीतर से ही कहा- ले आ, उसे उठा कर अन्दर ले आ।

गोपी ने लाला को उठाया, प्यार से दुलारा और अन्दर ले आई।

इस प्रकार से श्रीश्याम-सुन्दर भगवान ने इस भक्त की इच्छा को भी पूरा कर दिया।


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