मंगलवार, 2 अगस्त 2022

भगवान श्रीकृष्ण जी को मैया चलना सिखातीं।

भगवान श्रीकृष्ण जी को मैया चलना सिखातीं 

लाला चलने तो लगा किन्तु मैया को विश्वास नहीं, उन्हें ये ही डर रहता कि कहीं गिर न जाये। मैया सोचतीं कि अभी तो ये छोटा सा है, कोमल है……

ये कहीं गिर गया किसी खड्डे में तो मेरा क्या होगा? इसका क्या होगा?……नहीं! नहीं! इसे मैं ही चलना सिखाऊँगी। हालांकि उनका सुकुमार कन्हैया चल रहा है तो भी वात्सल्य रस से भरी मैया यशोदा जी अपने लाला को पकड़ के चलना सिखातीं

ले मेरा हाथ पकड़, अब चल.................।

ये देखने के लिए कि इसे चलना आया कि नहीं, मैया अपना हाथ छोड़ देतीं 

भगवान भी माँ का प्यार जानते हैं, और प्यार लेना भी जानते हैं

कभी-कभी जान-बूझकर गिर जाते। मैया उसी क्षण उन्हें उठा लेतीं और देखतीं कि कहीं किसी अंग में चोट तो नहीं आयी

इस प्रकार माँ-बेटे की लीला चलती।

कभी-कभी श्रीकृष्ण मैया का हाथ ज़ोर से पकड़ लेते और चलते।

कुछ दिन तो यह चलता रहा। श्रीकृष्ण समझ गये कि जब तक मैया को यह विश्वास नहीं होगा कि मैं चल पा रहा हूँ, ये मुझे कहीं जाने नहीं देंगी।

अतः श्रीकृष्ण उस दिन से मैया को देखाते कि मैं ठीक से चल रहा हूँ और दूर तक चल कर दिखाते। मैया यह देख कर खुश होती रहती  और अपने लाला की बलायें उतारती।




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