बुधवार, 27 अप्रैल 2022

हे धरणी! तुम धर्य धारण करो..................

यशोदानन्दन श्रीकृष्ण अपने बचपन की लीलाओं से वृजवसियों को इतना आनन्द देने लगे कि सभी का ध्यान श्रीकृष्ण में ही रहता इधर श्रीकृष्ण वृजवासियों के लिए ही वहाँ रह रहे थे।

हालांकि भगवान श्रीकृष्ण सर्वशक्तिमान हैं उनके पास सभी प्रकार के ऐश्वर्य हैं उन्हें किसी भी वस्तु की ज़रूरत नहीं है किन्तु वृजवासियों का ऐसा प्रेम है, उनके प्रति कि केवल उनके प्रेम के लिए भगवान वहाँ रह रहे हैं  वहाँ इतना प्रेम है कि भगवान का ऐश्वर्य भी उस प्रेम के आगे छुप जाता है।

भगवान अपना ऐश्वर्य यशोदा मैया को, श्रीनन्द बाबा जी को तो दिखाते ही थे, गोपियों को भी कभी-कभी दिखाते थे, लेकिन सरल गोपियाँ समझ नहीं पाती थीं

अपने कृष्ण प्रेम के खोई हुई गोपियाँ उनके ऐश्वर्य को समझ ही नहीं पातीं

एक बार श्रीकृष्ण सो रहे थे। आस-पास गोपियाँ बैठी हैं, और उन्हें देख रही हैं, स्वप्न में श्रीकृष्ण बोल उठे-- हे धरणी! तुम धर्य धारण करो। कुछ देर और शान्ति रखो। मैं तुम्हारा भार जल्दी खत्म कर दूँगा।श्रीकृष्ण को ऐसा बोलते सुन, सभी गोपियाँ चौंकीं व उनकी ओर देखने लगीं कि लल्ला, ये क्या बोले जा रहा है?

श्रीकृष्ण ने फिर कहा-- मैं अभी उस दुष्ट कंस को गिरा दूँगा, मार दूँगा। तुम चिन्ता न करो।

सभी गोपियाँ हैरान हो गईं कि ये क्या बोल रहा है?

उन्हें समझ नहीं आया कि वे क्या करें, मैया को बुलायें अथवा क्या करें?

इतने में श्रीकृष्ण मुस्कुरा दिये। भक्त को ज्यादा देर परेशान नहीं रखते भगवान्। उसको परेशान देखकर भगवान तुरन्त उपाय कर देते हैं

श्रीकृष्ण की मुस्कुराहट में ही सभी खो गईं और भूल गईं कि लाला, अभी-अभी क्या बोल रहा था?

ऐसा प्रेम उनका भगवान के लिए, कि उनके रूप में ही खो गईं

कभी-कभी श्रीकृष्ण कुछ ऐसी लीला करते कि उन्हें बहुत भूख लगी है। वैसे तो मैया को उनकी चिन्ता रहती, अपने लाला को खिलाने की, दूध पिलाने की किन्तु कभी-कभी श्रीकृष्ण उनके स्नेह को पाने के लिए लीला करते कि उनको भूख लगी है।

जब भूख लगती तो मैया सारे काम छोड़ कर लाला को दूध पिलाने लगती। श्रीकृष्ण मैया का अपने प्रति प्रेम देखकर इतने खुश होते कि उनकी गोद में लेटे-लेटे कभी अपने चरणों के अगले हिस्से को आगे-पीछे करते, कभी हाथों को तो कभी आँखों से बताते कि मैं बहुत खुश हूँ

अपने लाला को खुश देखकर मैया भी खुश हो जाती और उनकी बलाएं उतारने लगतीं





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