शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

कौन कितना पागल है?

संसार में बहुत से झगड़े होते हैं, अभिमान के टकराने के कारण ह्ज होते हैं। जैसे, मैंने बोला कि ऐसा ही होगा तो दूसरा कोई कह दे कि ऐसे, कैसे होगा? बिल्कुल नहीं होगा। और हो गया झगड़ा शुरू। 

न मैं पीछे हटूँ और न वो, तो शान्ति तो होगी ही नहीं। 

अगर दीनता वाला गुण हो, तो मैं देखूँगा कि क्या छोटी सी बात के लिए झगड़ा करना है? अगर मेरे भाग्य में होगा तो अपने आप ही मुझे मिल जायेगा और अगर नहीं है तो बहुत चेष्टा करने से भी नहीं मिलेगा। बहुत से लोगों के जीवन में ऐसा होते देखा होगा कि बहुत कुछ मिला पिता से अथवा ससुराल से किन्तु जैसे पहले थे, वैसे ही हो गये। बहुत अच्छा भाग्य नहीं था तो धनी घर में जन्म नहीं हुआ। और यदि भाग्य में अच्छा है तो वो '0' से हीरो बन जाता है।

अगर दीनता हो तो यही विचार आयेगा कि क्या झगड़ा करना है, इसी की बात मान लेते हैं। 

व्यक्ति अपने कदम पीछे जब हटाता है तो उससे छोटा नहीं बनता बल्कि महान बनता है।

एक मनोवैज्ञानिक डाक्टर बता रहे थे कि संसार में ज्यादातर लोग पागल हैं, अतः संसार में देख-भाल कर व्यवहार करना चाहिए। हमने पूछा - डाक्टर साहब! यदि ऐसा है तो आप किस व्यक्ति को चिकित्सा की दृष्टि से स्वस्थ मानते हो?

डाक्टर साहब-- जो व्यक्ति हर स्थिति में अपने को ढाल सकता है, वो व्यक्ति ही बिल्कुल मानसिक रूप से स्वस्थ है। और जो जितना ज़िद्दी है, जान लो कि वो उतना ही पागल है।

अतः घास से भी नीच मानने वाला जो गुण है, अर्थात् दीनता से हरिनाम करने का बल तो मिलेगा ही,  गुरू-वैष्णव-भगवान की सेवा तो मिलेगी ही, साथ ही ये हमारे लिए भी बहुत फायदेमंद रहेगी क्योंकि इससे दिल में शान्ति रहती है। 

मैं शान्त रहूँगा तभी तो दूसरे को शान्त करूँगा। मैं ही अशान्त रहूँगा तो दूसरे को शान्त कैसे करूँगा? तो यह जो दीनता वाला गुण है, यह व्यक्ति को शान्त कर देता है और उसके सम्पर्क में आने वाले दूसरों को भी शान्त कर देता है।

जब मैं शान्त, मेरे सम्पर्क में आने वाल भी शान्त, तो झगड़ा कैसे होगा?

यह गुण घर में शान्ति रखने के लिए बहुत ज़रूरी है।


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