भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी शिक्षाष्टक के तीसरे श्लोक में कहते हैं कि इन चार गुणों के होने से हरिनाम करने का अधिकार मिल जाता है। शिक्षाष्टक के इस तीसरे श्लोक को पालन करने वाला वैष्णव हो जाता है। वह व्यक्ति एक अच्छा इंसान भी बन जाता है। सारे झगड़े समाप्त हो जाते हैं।
वे चार गुण हैं -- अपने को घास से भी दीन मानना, वृक्ष से अभी अधिक सहनशील होना, अपने मान-सम्मान की इच्छा ना होना और सभी को यथा-योग्य सम्मान देना।
इन चार गुणों के होने से आपके मुख से शुद्ध हरिनाम निकलेगा। हरिनाम का असली रसास्वादन होने लगेगा। ये चार गुण गुरू-वैष्णव-भगवान की सेवा के लिए तो उत्तम हैं ही, ………इन चारों गुणों से युक्त व्यक्ति के घर में झगड़ा हो ही नहीं सकता।
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