श्रीकृष्ण ही मायाशक्ति द्वारा समस्त ब्रह्माण्डों का
सृजन करते हैं। कोई-कोई जड़ - प्रकृति को ही ब्रह्माण्डों का मूल कारण मानते हैं।
परन्तु उनकी मान्यता ठीक नहीं है। क्योंकि जड़ प्रकृति में स्वयं कोई क्रिया करने की
शक्ति नहीं है। ईश्वर-शक्ति का उसमें संचार होने पर ही वह जगत का सृजन करती है।
अन्यथा भगवत्-शक्ति के अभाव में वह सृष्टि कार्य का संपादन नहीं कर सकती। भगवान
संकर्षण उस जड़ प्रकृति में अपनी शक्ति संचार करते हैं। तभी वह सृष्टि कार्य में
समर्थ होती है । उदाहरण के लिये एक लोहे के डंडे को आग में लाल करने पर उससे लकड़ी,
कागज आदि सब कुछ जल जाता है। यहाँ पर उन वस्तुओं को लिहा नहीं जलाता, बल्कि अग्नि
की दाहिका शक्ति ही उस लौह खण्ड में प्रवेश करके उन वस्तुओं को भस्म कर डालती है।
कृष्ण की क्रिया शक्ति का नाम ही संकर्षण शक्ति है। - श्रील भक्ति विनोद
ठाकुररविवार, 25 अगस्त 2013
यह दुनिया किसने बनाई?
श्रीकृष्ण ही मायाशक्ति द्वारा समस्त ब्रह्माण्डों का
सृजन करते हैं। कोई-कोई जड़ - प्रकृति को ही ब्रह्माण्डों का मूल कारण मानते हैं।
परन्तु उनकी मान्यता ठीक नहीं है। क्योंकि जड़ प्रकृति में स्वयं कोई क्रिया करने की
शक्ति नहीं है। ईश्वर-शक्ति का उसमें संचार होने पर ही वह जगत का सृजन करती है।
अन्यथा भगवत्-शक्ति के अभाव में वह सृष्टि कार्य का संपादन नहीं कर सकती। भगवान
संकर्षण उस जड़ प्रकृति में अपनी शक्ति संचार करते हैं। तभी वह सृष्टि कार्य में
समर्थ होती है । उदाहरण के लिये एक लोहे के डंडे को आग में लाल करने पर उससे लकड़ी,
कागज आदि सब कुछ जल जाता है। यहाँ पर उन वस्तुओं को लिहा नहीं जलाता, बल्कि अग्नि
की दाहिका शक्ति ही उस लौह खण्ड में प्रवेश करके उन वस्तुओं को भस्म कर डालती है।
कृष्ण की क्रिया शक्ति का नाम ही संकर्षण शक्ति है। - श्रील भक्ति विनोद
ठाकुर
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