मंगलवार, 29 सितंबर 2020

श्रीमद् भगवद् गीता - 3

हमें अपने ही घर में कई बार सफाई करनी पड़ती है और उस सफाई के बाद जो घर का कूड़ा इकट्ठा होता है उसे हम बाहर फेंक देते हैं। इसी प्रकार खेती-बाड़ी करते हुए, फसल बोने के बाद, देखा जाता है कि फसल के साथ घास उग आई है। समझदार किसान उसे काट कर बाहर फेंक देता है। इसी प्रकार समाज में जो गलत लोग अच्छे लोगों को परेशान करते हैं तो उन्हें दण्ड देना पड़ता है। अगर उन्हें दण्ड न दें तो,  अच्छे लोग ठीक से रह नहीं पाते हैं। अतः परिवार का मुखिया परिवार के गलत सदस्य को शासन करता है और अच्छे को शाबाशी देते हैं। इसी प्रकार स्माज के जो मुखिया हैं उन्हें भी यही करना चाहिए। भगवान ने भी यही किया। महाभारत का युद्ध क्यों हुआ? युद्ध होने का कारण ही यह है कि वो जो समाज में दुष्ट प्रकार के लोग फैल गये हैं, जिन्होंने समाज के सार नियमों को, मर्यादा को ताक पर रख दिया है, जो कि नासूर हैं, जिन्हें ठीक नहीं किया जा सकता, जिन्होंने भगवान की कही हुई बात भी नहीं मानी,  ऐसों को रखकर क्या होता?

अतः श्रीगीता के पहले श्लोक के तात्पर्य में ही वैष्णव आचार्यों ने यह स्पष्ट कर दिया कि धृतराष्ट्र हालांकि दिखा यही रहा है कि वो युद्ध नहीं चाहता है किन्तु वास्तव में वो युद्ध ही चाहता था। उसे यह विश्वास था कि मेरे पुत्रों की जीत अवश्य ही होगी क्योंकि संख्या भी है और धुरन्धर योद्धा भी, जैसे पितामह भीष्म, जिनके पास इच्छा-मृत्यु का वरदान है, एक प्रकार से जो अमर हैं। गुरू द्रोणाचार्य, आदि।

पुत्र-मोह में वह सोचता है कि एक बार युद्ध हो जाये, तो मेरे पुत्रों को यह पूर्ण राज्य मिले।

खेत में फसल बोई, साथ में घास उग आये तो उससे प्रेम थोड़ा ना किया जा सकता है। किसान अगर उस घास-फूस से प्रेम करेगा तो फसल ही नष्ट हो जायेगी। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें