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इसी तिथि को सृष्टि का प्रारम्भ हुआ था। सत्-युग का प्रारम्भ भी इसी दिन हुआ था।
इसी तिथि को श्रीधाम पुरी में भगवान जगन्नाथ जी की चन्दन यात्रा का प्रारम्भ होता है, जो की 21 दिन तक चलती है।
भगवान अपने भक्तों के साथ अद्भुत लीलायें करते हैं। जैसे भगवान जगन्नाथ जी अपने भक्तों से चन्दन का लेप लगवाते हैं, उसी प्रकार एक बार भगवान के महान भक्त श्रील माधवेन्द्र पुरीपाद जी के स्वप्न में आपके द्वारा सेवित श्री गोपाल आए व बोले कि उनके अंगों को गर्मी लग रही है, मलयज चन्दन के लेपन से ये गर्मी दूर हो जाएगी।
प्रभु की आज्ञा पाकर आप प्रेम में विभोर हो गए व गोपाल जी की सेवा में
उपयुक्त सेवक को नियुक्त करके मलयज चन्दन लेने के लिए पूर्व देश की ओर चल दिये।
मार्ग में आप श्रीअद्वैत आचार्य जी के घर (शान्तिपुर), व रेमुणा (श्रीखीर-चोर गोपीनाथ) भी गये।
कुछ समय बाद आप श्रीजगन्नाथ पुरी पहुँचे। आपने श्रीजगन्नाथ जी के सेवकों तथा भक्त-महन्तों को सारी बात बताई और मलयज चन्दन इकट्ठा करके देने की प्रार्थना की। उनमें से जिनका राज-पुरुषों के साथ सम्बन्ध था, उनके माध्यम से मलयज चन्दन और कर्पूर इकट्ठा कर लिया।
चन्दन को ढोकर ले जाने के लिए भक्तों ने एक ब्राह्मण तथा अन्य एक सेवक को भी श्रील माधवेन्द्र पुरीपाद जी के साथ भेज दिया।
वापसी में पुनः रेमुणा आये। वहाँ आपने श्रीखीर-चोर गोपीनाथ जी के बहुत समय नृत्य-कीर्तन किया और प्रसाद पाया । (श्रीगोपीनाथ जी ने ही आपके लिए इससे पहले खीर चुराई थी, व खीर-चोर गोपीनाथ कहलाये)
उस रात को मन्दिर में विश्राम कर रहे थे कि श्रीगोपाल स्वप्न में आये व बोले कि इस चन्दन-कर्पूर को घिस कर गोपीनाथ को लेप करो। मैं और वे एक ही हैं। उनको चन्दन का लेप होने से, मुझे शीतलता का अनुभव होगा।
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आपने सुबह उठ कर सभी को श्रीगोपाल की बात सुनाई। गर्मी के समय में श्रीगोपीनाथ जी चन्दन-लेप करवाएँगे, सुनकर गोपीनाथ जी के सेवकों को बहुत आनन्द हुआ। आपने अपने साथ आये दोनों सेवकों को, व दो अन्यों सेवकों को चन्दन घिसने के लिए लगाया।
जब तक चन्दन खत्म नहीं हुआ (गर्मी के समय) तब तक श्रीगोपीनाथ जी के श्रीअंग में प्रतिदिन लेपन होता रहा।
श्रील माधवेन्द्र पुरीपाद जी की जय !!!
श्रीगोपाल जी की जय !!!

श्रीखीर-चोर गोपीनाथ जी की जय !!!
भगवान जगन्नाथ जी की जय !!!
चन्दन यात्रा महा-महोत्सव की जय !!!
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