मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

श्रील वृन्दावन दास ठाकुर

जैसे श्रीकृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी ने श्रीमद् भागवत में श्रीकृष्ण लीला का वर्णन किया है, उसी प्रकार उनसे अभिन्न आपने श्रीचैतन्य भागवत में, श्रीचैतन्य लीला का वर्णन किया है।

आप 1429 शकाब्द वैशाखी कृष्ण द्वादशी के दिन मामगाछी (किसी-किसी के अनुसार कुमारहट्ट) में आविर्भूत हुए। आपके पिताजी का नाम श्रीवैकुण्ठ नाथ विप्र तथा माताजी का नाम श्रीमती नारायणी देवी था। श्रीमती नारायणी देवी श्रीचैतन्य महाप्रभु के प्रिय भक्त श्रीवास पण्डित के बड़े भाई श्रीनलिन पण्डित की कन्या थीं।

भगवान श्रीकृष्ण की लीला में, श्रीकृष्ण की स्तन-दात्री अम्बिका की बहिन किलिम्बिका, जो हमेशा श्रीकृष्ण का प्रसाद ही ग्रहण करती थीं, ही श्रीचैतन्य लील में नारायणी देवी रूप से श्रीचैतन्य महाप्रभु की कृपा-पात्री बनीं। 

श्रीवास पण्डित जी की पत्नी मालिनी देवी ब्रजलीला की स्तनदात्री 'अम्बिका' थीं।

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