गुरुवार, 4 दिसंबर 2014

कौन गाली दे रहा था, मैंने तो सुना ही नहीं

एक बार की बात है जब श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी का संन्यास नहीं हुआ था। आपके पूर्वाश्रम का नाम था 'कृष्ण-वल्लभ'।

आप भारते के आसाम राज्य के तेजपुर गौड़ीय मठ में कुएँ के पास बैठे थे कि तभी एक नौजवान वहाँ पानी भरने आया। 
तभी क्या हुआ, किसी को मालूम नहीं, परन्तु वह बड़ी ज़ोर-ज़ोर से आपको गालियाँ देने लगा। आप तब ब्रह्मचारी थे।

आपके गुरुजी परम-आराध्यतम्, नित्यलीला प्रविष्ट ॐ विष्णुपाद 108 श्रीश्रीमद् भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज, उस समय तेजपुर मठ के साधु-निवास कि पहली मंज़िल पर ठहरे हुए थे।

मठ में किसी के द्वारा ज़ोर-ज़ोर से से गालियाँ देने की आवाज़ सुनकर आपके गुरुजी कमरे से बाहर निकले तो देखा कि एक व्यक्ति उनके प्रियतम् शिष्य को बड़े गुस्से में अनर्गल गालियाँ दिये जा रहा है। उस व्यक्ति के द्वारा इतनी जोर-जोर से गाली देने का कारण जानने के लिए आपके गुरुजी ने आपको आपके गुरुजी ने आपको आवाज़ लगायी -- कृष्ण बल्लभ! कृष्ण बल्लभ!!

अपने गुरुजी की आवाज़ सुनकर आप चौंक गये। 

तभी एक ब्रह्मचारी, श्रीनारायण प्रसाद (अब पूज्यपाद त्रिदण्डिस्वामी श्रीश्रिमद् भक्ति भूषण भागवत महाराज) आपके पास आये और कहा - प्रभुजी! गुरुजी आपको आवाज़ लगा रहे हैं।

आप हड़बड़ाकर उठ खड़े हुए और बड़ी नम्रता से अपने गुरुजी की ओर देखने लगे। आपके गुरुजी ने पूछा -- क्या हुआ?
आप असमंजस में पड़ गये कि गुरुजी क्या पूछ रहे हैं। आप अपने आप में बड़बड़ाये 'क्या हुआ' गुरुजी क्या पूछ रहे हैं?

तब श्रीनारायण ब्रह्मचारी ने कहा - वो व्यक्ति जो पानी लेकर जा रहा है वह आपको इतनी ज़ोर-ज़ोर से गालियाँ क्यों दे रहा था?

आपने पूछा - कौन गाली दे रहा था, मैंने तो सुना ही नहीं।
आपका उत्तर सुनकर आपके गुरुजी मुस्कुरा दिए और कहने लगे ये तो परमहंस है।

यद्यपि किसी ने भी उस व्यक्ति को कुछ नहीं कहा परन्तु कुछ समय बाद ही परमहंस वैष्णव के चरणों में अपराध करने के कारण घातक बिमारी में उसका सब कुछ बर्बाद हो गया और उसकी मृत्यु हो गयी।

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