शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2014

पवित्र कार्तिक मास में कुछ वृज दर्शन -- 7

श्रीरूप गोस्वामी जी की भजन स्थली (टेरीकदम) -
श्रीमती राधारानी जी के अनुगता सखियों में प्रधाना ललिता सखी की अनुगता मंजरियों में प्रधान रूप मंजरी के अभिन्न स्वरूप हैं - श्रील रूप गोस्वामी।

श्रीगौर लीला में षड़गोस्वामियों में भी प्रधान हैं - श्रीरूप गोस्वामी।

श्रील नरोत्तम ठाकुर जी ने श्रील रूप गोस्वामी जी के पाद-पद्मों को ही सब कुछ कहा है।
श्रीचैतन्य मठ और श्रीगौड़ीय मठ समूह के प्रतिष्ठाता नित्यलीला प्रविष्ट ॐ विष्णुपाद श्रीमद् भक्ति सिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी ठाकुर प्रभुपाद जी ने रूपानुग रूप में अपना परिचय दिया है एवं श्रीरूप गोस्वामी जी के पादपद्मों की धूलि होने की इच्छा व्यक्त की है।

इसलिये श्रील रूप गोस्वामी जी की भजन स्थलियाँ सारस्वत गौड़ीय वैष्णवों के प्राण-स्वरूप हैं, श्रेष्ठ हैं एवं पूज्यतम् हैं। 

नन्दग्राम के निकट ही टेरिकदम में श्रीलरूप गोस्वामीजी ने तीव्र वैराग्य के
साथ भजन किया था। यह स्थान अभी भी अतीव निर्जन एवं भजनेच्छु व्यक्तियों की दृष्टि में अतीव रमणीय है। श्रीराधा-गोविन्द जी की गूढ़ प्रेम-सेवा में प्रवेश पाने के लिये ये उपयुक्त स्थान है।

इस परम पवित्र स्थान में माधुकरी भीक्षा वृत्ति को अवलम्बन करने वाले श्रीलरूप गोस्वामी जी ने श्रीलसनातन गोस्वामीजी को खीर प्रसाद देने की इच्छा की तो राधा-रानी ने स्वयं बालिका के रूप में आकर गोस्वामी जी को
खीर बनाने के लिये दूध-चावल चीनी आदि द्रव्य प्रदान किये थे।

उस सामग्री से रूप गोस्वामीजी द्वारा बनाई खीर प्रसाद का अपूर्व आस्वादन कर सनातन गोस्वामी जी चमत्कृत और प्रेमाविष्ट हो उठे थे। श्रीसनातन गोस्वामीजी को श्रीरूप गोस्वामीजी से  पता चला कि खीर बनाने की सामग्री एक बालिका ने दी है तो सनातन गोस्वामी जी समझ गये कि वह बालिका कोई और नहीं स्वयं राधारानी जी थीं।

सनातान गोस्वामी जी को यह जानकर दुःख हुआ कि उनके लिये राधारानी जी को कष्ट दिया गया। अतः उन्होंने रूप गोस्वामी जी को दोबारा खीर बनाने के लिये निषेध कर दिया।

श्रील रूप गोस्वामी जी की भजन स्थली पर एक कुण्ड विराजित है। गौड़ीय-वैष्णव अभिधान में कुण्ड का नाम मयूर कुण्ड दिया गया है।

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