शनिवार, 6 सितंबर 2014

श्रील जीव गोस्वामी

श्रीजीव गोस्वामी जी का बाल्यकाल से ही भगवद् अनुराग देखा जाता है।
आप बचपन में अपने साथी दोस्तों के साथ श्रीकृष्ण पूजा सम्बन्धित खेल छोड़ कर और कोई खेल ही नहीं खेलते थे। 

स्वयं श्रीकृष्ण-श्रीबलराम जी की मूर्ति बना कर उनकी चन्दन, पुष्प, इत्यादि से पूजा करते, उन्हें रत्न-जड़ित सुन्दर-सुन्दर वस्त्र, अलंंकार पहनाते तथा अत्यन्त उल्लसपूर्ण हृदय से बिना पलक झपकाये दर्शन करते ।

आप जब ठाकुर जी को साष्टांग प्रणाम करते तो इस प्रकार लगता मानो सोने की मूर्ति धूलि में पड़ी हो।

इसके अलावा बहुत प्रकार की मिठाईयाँ श्रीकृष्ण-श्रीबलराम को भोग लगाते तथा सभी बालकों के साथ प्रेमानन्द में प्रसाद पाते।
श्रीमन् नित्यानन्द प्रभु की कृपा से आपने श्रीनवद्वीप धाम का दर्शन किया और नवद्वीप परिक्रमा करने के बाद आप काशी चले गए, जहाँ आपने श्रीमधुसूदन वाचस्पति जी से सभी शास्त्रों का अध्ययन किया।

इसके बाद आपने वृन्दावन जाकर श्रीरूप गोस्वामी व श्री सनातन गोस्वामी की का चरणाश्रय ग्रहण किया।

श्रील जीव गोस्वामी जी की जय !!!

आपके आविर्भाव तिथि पूजा महा-महोत्सव की जय !!!

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