सनातन धर्म के तमाम सम्प्रदायों के मूल गुरु हैं शक्त्याविष्ट अवतार श्रीकृष्णद्वैपायन वेदव्यास मुनि जी। आपने स्वयं आचरण करते हुये स्पष्ट रूप से नित्य शान्ति का रास्ता बताया।वेदों का विभाग करने वाले महामुनि श्रीवेदव्यास जी वेदान्त, 18 पुराण, महाभारत, महाभारत के अन्तर्गत श्रीमद् भगवद् गीता लिख कर भी शान्ति नहीं प्राप्त कर पाये।
अन्त में उन्होंने बदरिकाश्रम में श्रीनारद गोस्वामी जी के उपदेश के अनुसार श्रीकृष्ण की प्रीति के लिये श्रीकृष्ण की महिमा का कीर्तन करते हुए बारह स्कन्धों वाला श्रीमद् भागवतम् लिखकर परम-शान्ति की प्राप्ति की।उसी सर्वोत्तम धर्म का श्रीचैतन्य महाप्रभुजी ने प्रचार किया।
भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु और उनके पार्षदों के अन्तर्धान होने के पश्चात शुद्ध भक्ति मार्ग या भागवत धर्म का का रास्ता काँटों से भर गया।
श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी ने अवतीर्ण होकर बहुत से ग्रन्थ लिख कर एवं अनथक परिश्रम के साथ प्रचार करके शुद्ध भक्ति के प्रतिकूल उपसिद्धान्तों का खंडन करके मनुष्यों का जो अत्यन्त मंगल किया है और करुणा दिखायी है उसे अद्वितीय कहना होगा।
श्रीकृष्ण की शक्ति के बिन कृष्ण-भक्ति का प्रचार नहीं होता।
साक्षात् गौर-पार्षद या कृष्ण-पार्षद को छोड़ कर और किसी में इस प्रकार की अद्भुत शक्ति का प्रकट होना सम्भव नहीं है।बाहरी रूप से गृहस्थ लीला में व सरकार के शासन विभाग के दायित्वशील कार्य में नियुक्त रहते हुये भी आपने किस प्रकार विभिन्न भाषायों में सौ से भी अधिक ग्रन्थ लिखे एवं प्रचार किया, यही आश्चर्य का विषय है।
जागतिक असाधारण पाण्डित्य के द्वारा भी इस प्रकार लिखना सम्भव नहीं है।
आपका कोई भी लेख बहुत सोच-सोच कर व कल्पना करके लिखा हुआ नहीं है। आपके सभी लेख स्वतः सिद्ध व स्वाभाविक हैं।
आपने ग्रन्थ लिखकर सभी जीवों के प्रति स्थायी रूप से करुणा की है।
परमाराध्यतम् श्रील गुरुदेव, नित्यलीला प्रविष्ट ॐ 108 श्रीश्रीमद् भक्ति दयित माधव गोस्वामी महाराज जी अपने शिष्यों को ऐसा कहते थे कि -
'तुम्हें और कुछ भी नहीं करना होगा। केवल मात्र भक्तिविनोद ठाकुर जी के ग्रन्थों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद करके प्रचार कर सको तो जगत के जीवों का परम कल्याण हो जायेगा।'
वास्तव में श्रीगौड़ीय मठ में प्रतिदिन होने वाले जितने भी कृत्य हैं वे सब श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी की ही देन हैं।
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श्रील भक्ति विनोद ठाकुर जी की जय !!!!!
आपके आविर्भाव तिथि पूजा महा-महोत्सव की जय !!!!



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