जब युधिष्ठिर महाराज से पूछा गया कि संसार में सबसे अधिक आश्चर्यजनक वस्तु कौन-सी है तो उन्होंने उत्तर दिया कि प्रति दिन प्रतिक्षण लोग मरते रहते हैं, फिर भी प्रत्येक व्यक्ति यही सोचता है कि उसकी मृत्यु नहीं होगी।
प्रत्येक क्षण हम यह अनुभव करते हैं कि सारे जीव मृत्यु के मुख में जा रहे हैं। मनुष्य, कीड़े, पशु, पक्षी -- सभी जा रहे हैं। इसीलिए यह संसार, मृत्युलोक, कहलाता है। प्रतिदिन इतनी मृत्युएँ होती रहती हैं, कि हम चाहें तो कब्रिस्तान या श्मशान में जाकर इसकी पुष्टि कर सकते
हैं। इतने पर भी प्रत्येक व्यक्ति यही सोचता है कि मैं जैसे-तैसे जीता रहूँगा। यद्यपि प्रत्येक व्यक्ति पर मृत्यु का नियम लागू होता है, फिर भी लोग इसको गम्भीरता से नहीं लेते।
यही माया है।
- श्रील ए. सी. भक्ति वेदान्त स्वामी महाराज जी। (Founder - ISKCON)



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