सोमवार, 30 दिसंबर 2013

बिना प्रयास संसार से मुक्ति का उपाय……

जिस प्रकार स्वयं भगवान नन्दनन्दन श्रीकृष्ण -- राधा जी का भाव और कान्ति ग्रहण करके श्रीकृष्ण-चैतन्य महाप्रभु के रूप में श्रीनवद्वीप धाम में अवतरित हुए, उसी प्रकार श्रीकृष्ण पार्षद भी गौर-लीला कि पुष्टि के लिए गौरपार्षदों के रूप में अवतीर्ण हुए। श्रीमहाप्रभु जी की तरह ही श्रीकृष्ण के प्रथम प्रकाश विग्रह श्रीबलदेव जी गौरलीला कि पुष्टि के लिए भक्त भाव को अंगीकार करके श्रीमन् नित्यानन्द जी के रूप में एकचक्रधाम में अवतीर्ण हुए तथा श्रीबलदेव जी के पार्षद श्रीनित्यानन्द जी के पार्षद के रूप में अवतीर्ण हुए। शेष भगवान, तीनों पुरुषावतार और महासंकर्षण के कारण रूप में जो मूल संकर्षण श्रीबलदेव तत्त्व हैं, वे ही श्री नित्यानन्द तत्त्व हैं।  

श्रीबलदेव जी के सख्य रस के मुख्य पार्षद द्वादश गोपालों के नाम से प्रसिद्ध हैं।

श्रील उद्धारण दत्त ठाकुर उक्त द्वादष गोपालों में से एक सुबाहु नामक सखा हैं।  आप श्रीनित्यानन्द प्रभु की लीला पुष्टि के लिए अवतीर्ण हुए।


श्रीनित्यानन्द जी की कृपा के बिना पापी और अपराधी जीवों का उद्धार का कोई उपाय नहीं है। श्रीमन् नित्यानन्द प्रभु भक्त लीला करते हुए भी स्वरूपतः भगवत-तत्त्व हैं, उनके पार्षद उनकी कृपा शक्ति का मूर्त-स्वरूप हैं। श्रीमन् नित्यानन्द प्रभु परम पतित-पावन हैं फिर उनके अन्तरंग पार्षद परम-परम पतित पावन हैं। वस्तुतः श्रीमन् नित्यान्द प्रभु भक्तों के माध्यम से ही कृपा करते हैं। 

श्रील उद्धारण दत्त ठाकुर जी श्रीमन् नित्यान्द प्रभु जी के अन्तरंग पार्षद होने के कारण परम-परम पतित पावन हैं, और आपका आश्रय करने से जीव बिना किसी प्रयास के संसार से मुक्त होकर श्रीमन् नित्यानन्द प्रभु जी के पादपद्मों की व श्रीगैरांग महाप्रभु जी के पादपद्मों की सेवा प्राप्त कर सकता है। 


श्रील कविराज गोस्वामी जी ने उद्धारण दत्त ठाकुर जी को महाभागवत श्रेष्ठ कहा है।

श्रील उद्धारण दत्त ठाकुर महाशय की जय !!!!!

आपकी तिरोभाव तिथि की जय !!!!!

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