रविवार, 29 दिसंबर 2013

जब आपको भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी ने अपने मिलने का स्थान बताया……

जगद्-गुरु श्रील भक्ति सिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी ठाकुर प्रभुपाद के शिष्य श्रील भक्ति मयुख भागवत महाराज जी अपने समय के विद्वान व निष्ठावान भक्त थे।

आपके जीवन की जो महान घटनाएं हैं उनमें से एक यह है कि एक बार आपको भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी स्वप्न में आये व कहा, 'मैं इस स्थान पर हूँ । मुझे यहाँ से निकालो।' आपकी तन्द्रा भंग हो गयी व आप दिन निकलने का इंतज़ार करने लगे। सुबह होते ही आप बहुत से गाँव वालों को साथ लेकर उक्त स्थान पर पहुँचे। वह स्थान मशहूर अभिनेत्री माला सिन्हा के सम्बन्धी के किसी पुराने मकान का खण्डहर था । बोलपुर, बंगाल में उक्त स्थान पर पहुँच कर आपने वहाँ पर वह जगह ढूंढी, जो श्रीमहाप्रभु जी ने स्वप्न में इंगित की थी। आपके दिशा-निर्देश पर बड़ी ही सावधानी से खुदाई प्रारम्भ हुई। थोड़ी ही देर में भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु जी का श्रीविग्रह वहाँ पर प्रकट् हो गया। आप ने उसी स्थान पर भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु को स्थापित कर विशाल मन्दिर बनवाया। 

ऐसा कहा जाता है कि जब मन्दिर का परकोष्ठ बनना था तो भारी वर्षा हो रही थी। कारीगर जब भी भवन बनाने का मसाला तैयार करते, वर्षा के पानी से वो खराब हो जाता था, व भवन की छत मजबूत नहीं हो पाती थी। कई बार ऐसा होने पर ठेकेदार जब आप के पास अपनी समस्या लेकर आया तो आपने कहा कि कोई बात नहीं, कल आप अपना काम करें, मैं वहाँ पर आकर देखता हूँ। अगले दिन आप सुबह ही वहाँ आ गये, व ठेकेदार से बोले कि वो अपना कार्य प्रारम्भ करे। भगवान चैतन्य महाप्रभु की इच्छा से भारी वर्षा तो हुई परन्तु, केवल उस स्थान पर वर्षा की एक बूँद भी नहीं गिरी, जहाँ पर निर्माण कार्य चल रहा था।

बोलपुर, पश्चिम बंगाल के उक्त मठ-मन्दिर में आज भी लोग नमक का भोग लेकर आते हैं, क्योंकि ऐसा प्रचलन है कि नमक के भोग देने से सबकी मनोवांछित इच्छा पूरी हो जाती है। 

एक बार आपको भगवान श्रीराधा-मदनमोहन जी स्वप्न में आये और उन्होंने आपको चिन्पई, बंगाल में बुलाते हुए कहा कि हम आपको यहाँ पर मिलेंगे। भगवान के
वचनामृत के अनुसार आप वहाँ पर गये और आपने श्रीराधा-मदनमोहन के दिव्य दर्शन किये व उन्हें प्रणाम किया। 

आप कम आयु में ही श्रील प्रभुपाद की सेवा में आ गये थे।

आपकी योग्यता को देखकर ही आपको श्रील प्रभुपाद जी ने  रोज छपने वाले दैनिक नदिया प्रकाश का एडिटर नियुक्त किया था। 

आप कहा करते थे कि गुरु को हाड़-मांस का पुतला नहीं समझना चाहिए। गुरु आम आदमी नहीं होता, उसकी स्थिति अलग होती है।

आपने श्रील प्रभुपाद के दिव्य प्रवचनों को सरल भाषा में रोचक प्रश्न-उत्तर के रूप में लिपिबद्ध किया था।

श्रील भक्ति मयुख भागवत गोस्वामी महाराज जी की जय !!!!

आपकी तिरोभाव तिथि की जय !!!!!

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