भगवान की भक्ति का प्रचार करने के लिये स्वयं हरिभजन
करना अत्यन्त आवश्यक है क्योंकि केवल बड़ी बड़ी बातें बोलने से ही हरि-भक्ति का
प्रचार नहीं होता । - श्रील भक्ति कुमुद सन्त गोस्वामी महाराज । (श्रील भक्ति
सिद्धान्त सरस्वती गोस्वामी ठाकुर प्रभुपाद के शिष्य)
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