बुधवार, 18 सितंबर 2013

आज, श्री अनन्त-चतुर्दशी पर विशेष

भगवान श्री कृष्ण सभी अवतारों के मूल कारण हैं, और श्रीबलराम उनके द्वितीय क्लेवर हैं। आप दोनों एक ही हैं, केवल रूप का अन्तर है। श्रीबलराम श्रीकृष्ण के प्रथम विस्तार हैं व श्रीकृष्ण की सभी दिव्य लीलाओं में सहायक हैं। श्रीबलराम के एक विस्तार हैं श्री अनन्त शेष भगवान्। यह ब्रह्माण्ड जो 5000 लाख योजन लम्बा-चौड़ा है, श्रीशेष के
सिर पर एक सरसों के दाने के समान विराजमान है। श्रीशेष के अनेकों सिर हैं जो उज्जवल रत्नों से दैदीप्यमान हैं। श्रीशेष भगवान के गुणगान में रत रहते हैं। वे हजारों मुखों से भगवान के गुणगान में व्यस्त हैं, परन्तु भगवान के गुणों की सीमा ही पता नहीं चलती। चतुःसन उन्हीं से श्रीमद्भागवतम् का श्रवण करते हैं।   
                   
श्रीशेष ही विभिन्न रूपों (छत्र, पादुका, शय्या, वस्त्र, कुर्सी, भवन, जनेऊ, सिंहासन, आदि) से भगवान की सेवा करते हैं।

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