प्र:- मेरे एक प्रियजन की लम्बी बिमारी के बाद मौत हो गई है, जिसके
कारण मैं एक गहरी मानसिक पीड़ा से गुजर रही हूँ, अपने आप को समान्य स्थिति में लाने
के लिए मैं क्या करूँ ?
उ:- कठिन परिस्थिति में सांत्वना के लिए शास्त्रों की मदद लेनी चाहिए।
शास्त्रों के इलावा किसी अन्य प्रयास से यह संभव नही है। भगवद गीता के द्वितीय
अध्याय में जीवन और मृत्यु के बारे में विस्तृत रूप से वर्णन है। जिस प्रकार मनुष्य
पुराने वस्त्रों को त्याग कर नए वस्त्र धारण करता है उसी प्रकार आत्मा पुराने तथा
व्यर्थ के शरीरों को त्याग कर नवीन भौतिक शरीर को धारण करती है। मनुष्य को चाहिए कि
अविचल भाव से इसे सहना सीखे। इस नश्वर संसार में यही एक सत्य है। श्रीमद भगवद गीता
में श्री कृष्ण कहते हैं की जिसने जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। सुखमय जीवन
का एकमात्र उपाय शरणागति है।
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