गुरुवार, 28 जून 2012

गाएँ (पशु वध ) को मारने का अर्थ मानव सभ्यता को ख़तम करना है |

किसी वैज्ञानिक राजनीतिक या आर्थिक   उदेश्यों  की पूर्ति के लिए जानबूझकर किसी निर्दोष की हत्या को आंतकवाद के रूप में परिभाषित  किया जा सकता है | 

(steve best)



मरी हुई गाये या बकरी अगर चरगाह में पड़ी हो तो हम उसे बेकार की वस्तु मानते है लेकिन इन्हीं मरी हुई गायो या बकरियों का मॉस दुकानों में खाने के लिए बिकता है | 

(dr. john harvey kellogg)

सदियों से समय समय पर संस्कृतियों में पशु वध पर विचार विमर्श किया गया है | प्राचीन काल से ही हर संस्कृति मे मांसाहार और पशु वध के लिए   मना किया गया है | 


जीवन पवित्र है और सभी प्रकार के जीवन आदर योग्य है 

भारत की परंपरा और वेद हमेशा जीवन के सभी रूपों को आदर देता है | वेदों के दृष्टिकोण से सब को प्रकृति नें जन्म दिया है इसलिए सबको जीने का पूरा अधिकार है | वेदों की अवधारणा अनुसार जानवरों को मासूम बच्चों की तरह समझना चाहिए और उनको पूरी सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए |
पुनर्जन्म का सिद्धांत बताता है हर प्राणी एक आत्मा है , जो एक भौतिक शारीर के बाद दूसरा शारीर बदलता है और सिर्फ गाय का जीवन ही नहीं अपितु सब तरह का जीवन पवित्र है | वेद  बताते है सभी उस परमात्मा से उत्पन्न हुए है और सभी उस परमात्मा का अंश है , इसलिए सब आदरणीय है |
हम में से हर एक शाश्वत आत्मा है | हम यह शरीर नहीं है | हर जीवन चाहे वो वेह पशु पक्षी अथवा कीट , मछली , अथवा पौधे का ही हो हर एक का अपना एक अस्तित्व है | सब अपने कर्म अनुसार एक शारीर से दुसरे शरीर में जाते है | इसलिए हर जीवन पवित्र है उसे अपने स्वार्थ के लिए नष्ट नहीं करना चाहिए | सदाचार का अर्थ हर जीवन का आदर करना है |

नैतिकता का मौलिक सिद्धांत है कि अच्छाई वह है जो जिन्दगी को प्रोत्साहित या बढावा देती है और बुराई वह है जो जिन्दगी को ख़त्म या सिमित करती है |  albert schwritzer (सभ्यता और नीतिशास्त्र ,१९४९) सिर्फ वैदिक संस्कृति ही नहीं बल्कि सभी पारंपरिक संस्कृतियों भी हमें जिन्दगी और प्रकृति  को सम्मान देना सिखाती है | इसके विपरीत तकनीकी औधोगिक जीवन शैली जीवन और प्रकृति के कठोर है | 

आधुनिक जीवन का, जीवन और प्रकृति प्रति उपेक्षित व्यवहार 

आधुनिक जीवन में मानव और गैर मानव मानव दोनों के प्रति आदर की  कमी है | भोजन की  इतनी उपलब्धता के बावजूद भी अरबो पशुओं को कसाईखानों बड़ी निर्दयता पूर्वक मारा जा रहा है मनुष्य जाति के प्रति भी कुछ ऐसा घटित हो रहा है | भरी तदाद में मनुष्य दंगें , बम विस्फोट में  मारे जा रहें है | कुछ समय पहले जब कुछ पक्षी बर्ड फ्लू से संक्रमित हो गए तो मनुष्य ने लाखो पक्षिओं को मार डाला |ऐसा ही कुछ गायों के साथ भी हुआ | इतिहास में यह कोई नई बात नहीं है | यह क्रूरता है , सर्वनाश है , आंतकवाद है | भगवान् के राज्य में सब को जीने का अधिकार है |अनावश्यक रूप से एक चींटी को मारने के लिए भी कीमत चुकानी पड़ती है |


क्रूरता और बर्बरता का संस्थानीकरण और औधोगिककरण 


 क्रूरता मानव समाज में शुरू से चली आ रही है | पर अब इसका औधोगिककरण हो गया है  | क्रूरता ने वैश्विक उधोग का रूप ले लिया है  | क्रूरता का यह संसथानीकरण कभी नहीं देखा गया | पहले मनुष्य जानवर को भोजन , मनोरंजन या फर आदि के लिए मारते थे  | पर यंत्रीकृत औधोगिक बूचड़खाने औधोगिक बूचड़खाने आधुनिक अविष्कार है | पशु उत्पादों की खरीदने और बेचने के लिए दुकाने नहीं थी | इतिहास के हजारो वर्षो में यह सबसे ख़ूनी  समय है |

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