शुक्रवार, 15 जून 2012

अतुलनीय भारतीय संस्कृति

 
भारत की  सभ्यता दुनिया की महान सभ्यताओं में से एक है । भारत की सभ्यता कई हज़ारो वर्ष पुरानी है , इसकी सभ्यता अद्वितीय , विविध  और गहराई युक्त है । भारत ने कई हजारों वर्षो से अपने प्राथमिक , सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं को सरंक्षण प्रदान किया है और अन्य सभ्यताओ के मुकाबले इसकी निरंतरता को बनाए रखा है । यह सिर्फ लिखित संग्रह की वजह से संभव हुआ है । वेदों और पुराणों के गहन अध्ययन से हमे प्रारंभिक युग से लेकर हिम युग तक के बारे में झलक मिल सकती है ।
 
भारत की सभ्यता ने हमेशा आध्यात्मिक जीवन में रूचि दिखाई है । आत्मा की मुक्ति ही मानव के अस्तित्व का मुख्य लक्ष्य रहा है । यह हम बहुत सारे महान यौगिक ,धार्मिक तथा परम्पराओं में देखते है और कई योगियों , साधुओं , फकीरों संतो ने इसकी हर पीढ़ी में महत्ता बताई है । योग, ध्यान, आसन, जप, अनुष्ठान अथवा प्रार्थना  आदि महान विषयों को बड़ी गहराई और  विस्तारपूर्वक लिया जाता है ।
 
निश्चित रूप से, आध्यात्मिक और यौगिक स्तर पर, भारत को संसार की सभ्यता की जननी कहा जा सकता है । अगर हम पुरातन भारत की  तरफ ध्यान  केन्द्रित करें तो हमें यह ज्ञात होगा , कि योग के आसन, वैदिक मन्त्रों और अलौकिक शक्तियों का भी जन्म दाता भारत ही है ।
 
भारत  की सभ्यता सिर्फ आध्यात्मिक रूप से नहीं अपितु भौतिक रूप से भी बहुत सम्पन्न है | भारत के पास कृषि, वस्त्रों , सोने और जवाहरात की अपार संपदा थी । सारे संसार के व्यापारियों का केंद्र भारत ही होता था । इन्हीं कारणों ने कोलम्बस को भारत आने के लिए प्रेरित किया । और इसी वजह से रोमन और यूनानी वासियों ने भी भारत की तरफ रुख किया ।
 
अर्थशास्त्री अंगस मेडीसन के अनुसार  सोलहवीं सदी के  अंत तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद में संसार का सबसे बड़ा हिस्सा था ।
        
प्राचीन भारत में बहुत सारे शक्तिशाली योद्धा भी थे । मार्शल आर्ट में भी इसकी अपनी परम्परा थी । राजा धर्म परायण ऋषिओं की रक्षा करते थे । और साथ ही साथ अपने क्षेत्र में शांति और समृद्धि बनाए रखते थे । भारत ने कभी भी दुसरे देशो पर राज करने का रास्ता नहीं चुना । यहाँ तक कि भारत के राजा अपने अंतिम वर्षो मे सब राज-पाट त्यागकर जगलों मे धार्मिक साधना करने के लिए चले जाते थे ।  
 
स्वतंत्र होने के बाद से भारत अपने पुराने आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक धरोहर को जारी रखे हुए है और आज एक आधुनिक संसार की  और अग्रसर हो रहा है ।
  
भारत के गुरु दुनिया भर मे यात्रा कर रहें है ।  इनके अनुयायी दुनिया भर में है । सरे विश्व मे यह भक्ति और योग साधना का प्रचार कर रहें है । भारत के वैज्ञानिक अपने कौशल और विश्वसनीयता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं ।  इसके व्यापारी एक बार फिर से विश्वव्यापी  समृद्धि मे अपना योगदान दे रहें है और दुनिया भर के प्रमुख शहरों में सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा कर रहें है ।
 
हम इस महान सभ्यता के मूल को जानने की कोशिश करेगें और उन कारणों का भी पता लगाएंगें जिसकी वजह से यह इतनी महान बनी ।
 
द्वारा: डेविड फ्राले तथा डा, नवरत्न स राजाराम

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