भारत की सभ्यता दुनिया की महान सभ्यताओं में से एक है । भारत की सभ्यता कई हज़ारो वर्ष पुरानी है , इसकी सभ्यता अद्वितीय , विविध और गहराई युक्त है । भारत ने कई हजारों वर्षो से अपने प्राथमिक , सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं को सरंक्षण प्रदान किया है और अन्य सभ्यताओ के मुकाबले इसकी निरंतरता को बनाए रखा है । यह सिर्फ लिखित संग्रह की वजह से संभव हुआ है । वेदों और पुराणों के गहन अध्ययन से हमे प्रारंभिक युग से लेकर हिम युग तक के बारे में झलक मिल सकती है ।

निश्चित रूप से, आध्यात्मिक और यौगिक स्तर पर, भारत को संसार की सभ्यता की जननी कहा जा सकता है । अगर हम पुरातन भारत की तरफ ध्यान केन्द्रित करें तो हमें यह ज्ञात होगा , कि योग के आसन, वैदिक मन्त्रों और अलौकिक शक्तियों का भी जन्म दाता भारत ही है ।

अर्थशास्त्री अंगस मेडीसन के अनुसार सोलहवीं सदी के अंत तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद में संसार का सबसे बड़ा हिस्सा था ।
प्राचीन भारत में बहुत सारे शक्तिशाली योद्धा भी थे । मार्शल आर्ट में भी इसकी अपनी परम्परा थी । राजा धर्म परायण ऋषिओं की रक्षा करते थे । और साथ ही साथ अपने क्षेत्र में शांति और समृद्धि बनाए रखते थे । भारत ने कभी भी दुसरे देशो पर राज करने का रास्ता नहीं चुना । यहाँ तक कि भारत के राजा अपने अंतिम वर्षो मे सब राज-पाट त्यागकर जगलों मे धार्मिक साधना करने के लिए चले जाते थे ।
स्वतंत्र होने के बाद से भारत अपने पुराने आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक धरोहर को जारी रखे हुए है और आज एक आधुनिक संसार की और अग्रसर हो रहा है ।
भारत के गुरु दुनिया भर मे यात्रा कर रहें है । इनके अनुयायी दुनिया भर में है । सरे विश्व मे यह भक्ति और योग साधना का प्रचार कर रहें है । भारत के वैज्ञानिक अपने कौशल और विश्वसनीयता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं । इसके व्यापारी एक बार फिर से विश्वव्यापी समृद्धि मे अपना योगदान दे रहें है और दुनिया भर के प्रमुख शहरों में सफलतापूर्वक प्रतिस्पर्धा कर रहें है ।
हम इस महान सभ्यता के मूल को जानने की कोशिश करेगें और उन कारणों का भी पता लगाएंगें जिसकी वजह से यह इतनी महान बनी ।
द्वारा: डेविड फ्राले तथा डा, नवरत्न स राजाराम
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