लगभग एक महीने पहले यमुना जी के किनारे पर केशी घाट और मदन मोहन घाट के बीच के क्षेत्र में एक अविश्वसनीय कार्य शुरू किया गया |
दो साल पहले यमुना जी पर बनाए गये फ्लाई-ओवर से यमुना जी का जल पूर्ण रूप से वृन्दावन से दूर हो गया होता | केवल यही एक ऐसा स्थान है जहाँ यमुना देवी आज भी शहरों और घाटों के साथ संपर्क बनाती है | कुछ खम्बे अभी भी इस पावन भूमि पर बाकी हैं जो केशी घाट की ओर जाते हुए यमुना की धारा को रोकते हैं | वृन्दावन के भविष्य के लिए ऐसी स्थिति असमर्थनीय है |
केशी घाट निवासी के.पी.एस गिल ने सौ से अधिक लोगों द्वारा हस्ताक्षरित तीन प्रार्थना पत्रों को वहां के डिस्ट्रिक्ट मैजिसट्रेट को दिया और केशी घाट के सामने बह रहे नाले की समस्या को सुलझाने के लिए निवेदन किया | उन्होंने कहा, "क्योंकि प्रशासन ने इस समस्या को सुलझाने में कोई रूचि नहीं ली इसलिए हमने इस कार्य को अपने हाथों में लिया है और यह निर्णय लिया है की हम यमुना जी को पुन: घाट तक वापिस लेकर आएंगे |"
शुरुआत में यह कार्य लगभग तीस व्यक्तियों द्वारा निर्मित दो समूहों से प्रारंभ किया गया | एक समूह मदन मोहन जी के आस-पास के इलाके में कार्य करता था जहाँ पर कोसी से आती नाली यमुना जी से जुड़ती है और दूसरा वर्ग चीर घाट के सामने के इलाके में कार्य करता था |
विभिन्न संगठनों, समूहों, आश्रमों और व्यक्तियों द्वारा इस प्रयास का समर्थन किया गया | पूज्यपाद साधु महाराज, इमलीतला गौड़ीय मठ के आचार्य जैसे गौड़ीय मठ के प्रधान वैष्णवों ने भी इस कार्य में आगे बढ़कर अपना योगदान दिया |
५०० से अधिक लोग अभी भी यमुना जी को वापिस वृन्दावन के घाटों पर लाने के इस ऐतिहासिक कार्य में अपना योगदान दे रहे हैं | दो JCB "mahabali" मशीनें भी इस कार्य के लिए उपयोग में लाई जा रही हैं और उद्देश्य यह है की यमुना जी के मुख्य भाग के जल को केशी घाट तक ले जाया जाए |
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