भगवान श्रीकृष्ण एक दिन घर में मिट्टी के बर्तनों से खेल रहे हैं। माता यशोदा ने देखा कि लाला, आज गुम-सुम सा है, क्या बात है?
माता यशोदा, गोपाल के पास गई और कहने लगी--- लाला! क्या बात! खेलने नहीं गया आजा तू?
लाला ने कोई जवाब दिया।
माता और नज़दीक आई, लाला के सिर पर हाथ फेरा, अपने पास बिठाया व फिर पूछा--- लाला तू आज गया क्यों नहीं सखाओं के साथ खेलने के लिये?
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं --- मैया! मैंने नहीं जाना खेलने के लिए।
मैया --- लाला! मेरे लाला! सखा कितने खुश होते हैं तेरे साथ खेलने में। और तू रोज़ ही बोलता कि आज हमने यह खेल खेला, आज हमने यह किया, फिर आज क्या हो गया?
लाला--- मैया! वो जो दाऊ भैया हैं न, मैं उनके कारण नहीं जा रहा हूँ।
मैया--- लाला , वे तो बहुत अच्छे हैं। क्या हो गया? वे तो तेरा इतना ख्याल रखते हैं?
लाला--- मैया! तू तो बस मेरे को ही डांटती है, दाऊ भैया को तो कुछ कहती ही नहीं!
(परब्रह्म भगवान श्रीकृष्ण को खेलने नहीं जाना है, उनको शिकायात लगानी है………)
मैया--- अरे लाला बोलेगा तो, कि क्या हुआ?
लाला--- मैया मोरी, दाऊ बहुत खिजाते हैं। बड़ा छेड़ते हैं। वे मुझे बड़ा चिड़ाते हैं। और तो और सारे सखा भी उनके साथ मिल जाते हैं और मेरा मज़ाक उड़ाते हैं। ताली दे-देकर सभी हँसते हैं मुझपर।
मैया--- अरे लाला, कुछ बोलेगा भी या पहेलियाँ ही बुझाता रहेगा। क्या बोलता है, दाऊ?
लाला--- मैया, मैं क्या बताऊँ! मेरे पास उनके प्रश्न का जवाब ही नहीं है।
मैया--- अरे बोलेगा भी अब, कि क्या कहता है तेरा दाऊ भैया?
लाला--- वो मेरे को कहता है कि तू हमारे परिवार का नहीं है। तेरे को तो हम खरीद कर लाये हैं। तू यशोमती मैया का पुत्र नहीं है। बस इसी कारण से मैं खेलने नहीं जाता हूँ।
मैया--- ऐसे कैसे बोलता है वो?
लाला--- एक दो बार नहीं, बार-बार ये ही बात बोलता है। मेरे पास जवाब ही नहीं इसका। दाऊ भैया मेरे को बोलता है, अच्छा कन्हैया बता, ये बता कि कौन है तेरी माता और कौन हैं पिता?
मैया मन ही मन ही मन हँस रही है और तोतली भाषा में बोल रहे अपने लाला कि बातों को भी सुन रही है।
बलराम जी की युक्ति ऐसी है कि श्रीकृष्ण की बोलती बंद कर देती है।
लाला--- वो कहता है कि देख माता यशोदा तो गोरी हैं और नन्द बाबा भी गोरे हैं, फिर तू बीच में काला कहाँ से आ गया? मैया, ऐसे मुझे बोलता रहता है।
माता मन ही मन हँसी लेकिन लाला बुरा ना मान जाये इसलिये थोड़ा चुप हो गयी।
फिर अपने लाल को अपनी गोद में लाकर, अपने गोपाल को रिझाने के लिए बोलती है--- अरे लाला, तू दाऊ भैया की बात क्यों सुनता है। सब गौवों की कसम खाकर कहती हूँ कि मैं तेरी माँ हूँ और तू मेरा पुत्र है।
यह सुनकर श्रीकृष्ण सन्तुष्ट हो गये।
अद्भुत भगवान की अद्भुत बाल्य लीला!
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