नन्दनन्दन श्रीकृष्ण भक्तों को आनन्द देने के लिए भक्तों के साथ वृज में रह रहे हैं। भक्तों को आनन्द दे रहे हैं और स्वयं भी आनन्द ले रहे हैं, भक्तों के साथ।
छोटे बालक के रूप में यशोदा मैया, नन्द बाबा जी, गोपियाँ आदि सभी के साथ रहते हुए आनन्दित हो रहे हैं।
गोपियाँ छोटे से कृष्ण को बोलना सिखा रही हैं।
कन्हैया, ओ कन्हैया, बोल 'म'…'म'………
तो लाला (श्रीकृष्ण) बोलते हैं ........."म', 'म'…
अच्छा अब बोल - त, …त्…
लाला तोतली भाषा में बोलने की कोशिश करते हैं।
उसी में ही सबको आनन्द दे रहे हैं।
मैया यशोदा कभी-कभी पूछती --- ओ कन्हैया, तू बलवान बनेगा?
मैया को खुश करने के लिए गर्दन उठा कर श्रीकृष्ण कहते हैं --- ऊँ! ऊँ! (हाँ बोलना चाह रहे हैं किन्तु ऊँ! ऊँ! ही निकल रहा है।) मैया उनके उत्तर से बहुत प्रसन्न हो जाती है।
मैया ने फिर पूछा--- लाला, ओ कन्हैया, बता कि बड़ा होकर हम सभी रक्षा करेगा?
ऊँ! ऊँ! (हाँ बोलना चाह रहे हैं किन्तु ऊँ! ऊँ! ही निकल रहा है।)
मैया यह सुनकर हँस पड़ी और अपने लाला को गोदी में उठाकर प्यार करने लगीं।
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