शुक्रवार, 1 मई 2020

कुछ प्रश्न मासिक अशुद्धता को लेकर - 3

हमारी बहिनों के मन में कई बार मासिक धर्म को लेकर प्रश्न उठते हैं। ऐसे प्रश्न कई बार हमारी बहिनें हमें भेजती हैं कि उन दिनों में वे भजन कैसे करें……ऐसे ही कुछ प्रश्नों की चर्चा यहाँ पर की जा रही है --

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प्रश्न 3 --- क्या हम अलग माला रख लें उन दिनों के लिए ? क्या अलग तिलक, अलग आसन रखे लें, उन दिनों के लिये ?

उत्तर अलग आसन रख सकते हैं, तिलक लगा सकते हैं,  लेकिन उस आसन पर संध्या कैसे करेंगे ? अपवित्र अवस्था में केवल पंचतत्त्व मन्त्र और  हरे कृष्ण महामन्त्र करने की आज्ञा है किन्तु अन्य गायत्री मंत्र इत्यादि नहीं कर सकते । क्योंंकि अपवित्र अवस्था में गायत्री मंत्र का जाप नहीं होता। 

साथ ही हमें यह भी देखना है कि हमारे आचरण से दूसरों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है ?  हम सिर्फ अपनी ना सोचें,  सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के बारे में भी सोचें। अपने से जूनियर्स के बारे में भी सोचें। अपनी अगली पीढ़ी के बारे में भी सोचें।

अगर आप अपवित्र अवस्था में माला कर रहे हैं और माला करते हुए कोई आपको देख लेता है/देख लेती है । किन्तु वह आपसे बात नहीं कर पाता या पाती तो उसे पता ही नहीं लगेगा कि आप अपवित्र अवस्था के लिए अलग माला रखते हैं और पवित्र अवस्थाके लिए अलग माला। इससे उनके मन में भ्रान्ति उत्पन्न हो जायेगी और वो अपवित्र अवस्था में भी गुरुजी की दी हुई तुलसी माला पर हरिनाम करते रहेंगे, यह सोचकर कि हमसे श्रेष्ठ भक्त यानिकि आप रोज़ ही माला करती हैं। हमारी अगली पीढ़ी ठीक मार्ग पर चले, उन्हें ठीक से नियम पता हों, इसके लिए हमें ही सावधानी अपनानी होगी। उन दिनों में आप काउन्टर पर हरिनाम कर सकती हैं। जब वे आपसे पूछें कि आप माला क्यों नहीं कर रहे तो उन्हें  ठीक उत्तर मिल जायेगा। 

देखो नम्बर तो देने हैं भगवान ने। अतः भगवान यह देख रहें हैं कि आप कितना हरिनाम कर रहे हैं। किन्तु वे पहले यह देखेंगे कि किस भक्त के आनुगत्य में आप भजन कर रहे हैं?  श्रेष्ठ वैष्णवों की आज्ञा के अनुसार हम हरिभजन कर रहे हैं तो उसे आनुगत्य में भजन करना कहते हैं और भगवान उसी से ही प्रसन्न होते हैं। अतः अपने से श्रेष्ठ वैष्णवों की आज्ञा के अनुसार ही नियम करें।

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