गुरुवार, 30 अप्रैल 2020

कुछ प्रश्न मासिक अशुद्धता को लेकर - 2

हमारी बहिनों के मन में कई बार मासिक धर्म को लेकर प्रश्न उठते हैं। ऐसे प्रश्न कई बार हमारी बहिनें हमें भेजती हैं कि उन दिनों में वे भजन कैसे करें……ऐसे ही कुछ प्रश्नों की चर्चा यहाँ पर की जा रही है --
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प्रश्न 2 --- किसी बहिन ने पूछा जिन दिनों अपवित्र अवस्था है, उन दिनों माला पर हरिनाम कर लेते हैं तो क्या असुविधा है ? जब सिर धो लेंगे तो माला भी धो लेंगे ?

उत्तर--- आपके पास कैसी माला है, यह आप ही जानें किन्तु हमारे श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ में जो नियम हैं वो यह है कि जो दीक्षा गुरू होते हैं वो शिष्य को प्रदान की जाने वाली हर माला के एक-एक मनके पर जप करते हैं। तुलसी जी की माला तो वैसे भी दिव्य है। 

अगर पचास लोगों ने हरिनाम लेना है, तो गुरू जी पचास माला को जप कर ही शिष्यों को देते रहे हैं, परमाराध्य श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी। अर्थात् हर माला के हर मनके पर जप करते थे, ऐसे करके पचास माला जप करने के बाद ही श्रीहरिनाम अनुष्ठान 1st initiation के समय शिष्यों को प्रदान की जाती थी। अब जिस माला के एक-एक दाने में मुझे गुरूकृपा मिली है, गुरूजी की कृपा संचारित की गई है, महामन्त्र जप कर गुरूजी ने मुझे दी है, तो मैं उसे कैसे धो सकता हूँ। 

हाँ, अगर किसी ने ऐसे ही माला दे दी है और उसे जप की practice करने के लिए, तो अलग बात है।

किसी महान भक्त से अथवा सद्गुरू के मिली माला की भी महत्ता है । हमारे श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ में नियम है कि माला जपने के बाद ही गुरुदेव जी अपने  शिष्य व शिष्याओं को देते हैं । गुरुदेव जी के दिव्य हाथों का या गुरूदेव जी की दिव्य अंगुलियों का स्पर्श हुआ है, आपकी माला पर । अतः उस माला को पानी से नहीं धो सकते चाहे वो पानी गंगा जी, यमुना जी, राधा कुण्ड, श्याम कुण्ड आदि का ही क्यों न हो?

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