मंगलवार, 16 अप्रैल 2019

भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों का चीर हरण - 2

एक बार की बात है, भगवान श्रीकृष्ण 100 करोड़ गोपियों के बीच में थे। अचानक वे गायब हो गये। अब इतनी स्त्रियों के बीच में से कौन जा सकता है? ये वही कर सकता है जिसके अन्दर कोई कामना-वासना न हो।  नहीं तो  संसारी व्यक्ति अगर लड़कियों से घिरा हुआ हो, तो वहाँ से निकलने की सोच ही नहीं सकता। वो सारी मर्यादायें तोड़ डालेगा, वो भूल जायेगा मेरा पद क्या है, मेरा कर्तव्य क्या है, मैं खड़ा कहाँ हूँ, समय क्या है, वो सब भूल जायेग, किन्तु श्रीकृष्ण पूर्ण काम, अर्थात् उनके अन्दर कोई सांसारिक कामना-वासना नहीं, इसलिये ही तो सुन्दर-सुन्दर गोपियां जब रास लील के समय वहाँ पर आयीं श्रीकृष्ण के पास, श्रीकृष्ण वहाँ से अन्तर्हित हो गये।
पूज्यपाद श्रील नारायण महाराज जी बताते हैं कि एक दुष्ट असुर था नरकासुर, दुष्ट भावना, दुष्ट प्रवृति, जहाँ पर भी कोई सुन्दर स्त्री, लड़की देख लेता थ, उसे उठवा लेता था और अपने महल में उसको रख लेता थ। ऐसा दुष्ट था, इतना शक्तिशाली था, कि कोई उसका कोई विरोध नहीं कर
पाता था। हज़ारों स्त्रियां  उसने अपने निवास में रखी हुई थीं व उसकी कैद में थीं। भगवान श्रीकृष्ण के पास जब उनकी ये सहायता के लिये प्रार्थना, उनका ये सन्देश गया कि उन अबला स्त्रियों दे लिए दुनिया में कोई भी सहायता करने के लिये नहीं आ रहा तो वे तुरन्त सेना लेकर गये व नरकासुर का वध किया और वो जो, 16 हज़ार के आसपास स्त्रियां - लड़कियां थीं,  उनसे बड़ा विनम्र निवेदन किया कि आप हमको बतायें कि आप किस राज्य से किस स्थान से आयी हैं, हम आपको स-सम्मान वहाँ पर भिजवा देंगे। आपको डरने कि कोई बात नहीं है, नरकासुर का वध कर दिया गया है।

पूर्व काल में हमारे स्माज में कई प्रकार की अच्छी बातें तो थी हीं, कई कुरितियाँ भी थीं।  उन कुरितियों के आधार पर उन लड़कियों व स्त्रियों ने कहा -- हे प्रभो! हमें विश्वास है कि आप हमें सुरक्षित, सकुशल वापिस भिजवा देंगे। हम चली भी जायेंगीं। किन्तु हमारे घर-परिवार वाले हमें अब
स्वीकार नहीं करेंगे। हमारे पति हमें घर में घुसने नहीं देंगे, हमारे माता-पिता तो हमें देखते ही घर के दरवाज़े बन्द कर देंगे, तब हम क्या करेंगीं? हमा कहाँ जायेंगीं? हम सब आपको हाथ जोड़कर प्रार्थना करती हैं कि हे कृष्ण! कृपया हमारा जीवन नष्ट न करें। हमें आप अपने पास ही रख लें, चाहे आप हमें नौकरानी बना कर ही क्यों न रखें? हम नौकर बनकर रह लेंगी, आपने हमें इस नरक से मुक्त किया है, हम आपके घर में झाड़ू मारेंगी, बर्तन साफ करेंगी, सब कुछ करेंगी, किन्तु हमें वापिस ना भेजें, हमें आश्रय प्रदान कर दीजिये। श्रीकृष्ण ने कहा (कैसे सम्मान दे रहे हैं भगवान स्त्रियों को)  -- ठीक है कि तुम्हारे पति, बच्चे, पिता भाई आपको स्वीकार नहीं करेंगे,  कोई बात नहीं। किन्तु मैं आप सबको नौकरानी बना कर नहीं रख सकता। (सभी के चेहरे का रंग फीका पड़ गया) तब श्रीकृष्ण आगे बोले -- आप सब को मैं सम्मान के साथ रखूँगा। आप सबको पटरानी बना कर रखूँगा। 
एक उदाहरण है ये। जहाँ  पर हम खड़े हैं वहाँ पर ज़रा सोचिये कि किसी
स्त्री के साथ ऐसी घटना घटी हो,  उसने साथ शादी करने के लिये हमारा हाथ आगे नहीं बड़ेगा, उसको पालने के लिये हम अपने घर में जगह नहीं दे पायेंगे जबकि श्रीकृष्ण ने उन सबको अपनी पटरानि बनाया और इतना ही नहीं सबके लिये अलग-अलाग, विचित्र-विचित्र महल बनवाये, और इतना ही नहीं, हरेक पटरानी के साथ रहने के लिए 16000 से अधिक स्वरूप रचे। वो भी ऐसे कि अगर कोई एक साथ सभी महलों को देखे तो देखेगा का श्रीकृष्ण एक ही समय में कहीं पर भोजन कर रहे हैं, कहीं पर खेल रहे हैं कहीं पर रानी के साथ बात चीत कर रहे हैं, किसी रानी के साथ टहल रहे हैं , किसी अन्य रानी के साथ झूला झूल रहे हैं, इत्यादि। 16108 स्वरूप अलग अलग कार्य कर रहे थे एक ही समय पर। जो कृष्ण इस प्रकार स्त्रियों की इज्जत बढ़ाते हैं जो इस प्रकार स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करते हैं, जो श्रीकृष्ण इस प्रकार नरकासुर की कैद में पड़ी स्त्रियों, जो उनकी नौकरानी बनने को तैयाज हैं, उन्हें पटरानी बना देते हैं,  वो कृष्ण वस्त्र ह्रण करके गोपियों का अपमान कर सकते हैं, वहाँ पर कामुकता आ सकती है, कदापि सम्भव नहीं। 

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