


भगवान ने फिर उस में स्नान किया।
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की आधी रात को यह घटना हुई।
इस प्रकार श्याम कुण्ड प्रकाशित हुआ।
जब श्रीकृष्ण ने सखियों सहित श्रीमती राधा जी से कुछ मज़ाक में कहा तो वे सब एक अन्य कुण्ड की खुदाई करने लगीं। देखते ही देखते वहाँ एक और सरोवर खुद गया, किन्तु उसमें जल नहीं था। यह देख सभी गोपियाँ चिन्तित हो गयीं।
तब श्रीकृष्ण ने फिर मज़ाक में कहा - मेरे कुण्ड का जल ले लो और अपना सरोवर भर लो।
गोपियों ने कहा - वृषासुर को मारने से जो पाप हुआ, उसे इस कुण्ड में धोया होने के कारण, इस का जल पवित्र नहीं रहा। हम मानसी गंग़ा से जल लेकर आयेंगीं।

इस प्रकार राधा कुण्ड प्रकट हुआ।
भजन स्थानों में श्रीराधा कुण्ड हि सर्वश्रेष्ठ है।
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