सोमवार, 10 जून 2013

कुछ प्रश्न उत्तर-

कुछ प्रश्न उत्तर-
 
विज्ञान के अनुसार, हमारे ब्रह्मांड का कोई निर्माता नहीं है और कोई भी इस ब्रह्मांड को चला नहीं रहा है और यह ब्रह्मांड का होना सिर्फ एक दुर्घटना है.

वास्तविकता यह है कि भगवान ने हमारे ब्रह्मांड को न केवल बनाया, बल्कि चला भी रहे हैं।
 
भगवान के अस्तित्व के बहुत सारे उदाहरण हैं. जैसे--
 
पृथ्वी ....
पृथ्वी के आकार है एकदम सही है । वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड एक विस्फोट से बना जिसे बिग बैंग सिद्धांत कहा जाता है ।
 
क्या  किसी भी विस्फोट से "सही आकार" में कुछ प्रकट करना संभव है ?
 
अगर हम गैस की बोतल से अपने रसोई घर में विस्फोट करें तो क्या उससे स्वत: रोटी, दाल, सब्जी और मिठाई बन जायेगी?  नहीं । भोजन त्यार करने के लिये भोजन बनाने वाला होना चाहिये, थाली सजाने के लिये थाली सजाने वाला होना चाहिये…
 
वैज्ञानिक और तार्किक रूप से, यह अपने आप नहीं हो सकता।

प्रचालन ...
अगर कुछ दुर्घटना से बनता है, तो वह लम्बे समय तक ठीक ढंग से काम नहीं कर सकता।

जैसे जमीन पर एक कागज फैंके, यह कुछ समय हवा में यहाँ और वहाँ बारी बारी हिलेगा अथवा लहरायेगा । ऐसा इसलिये होगा क्योंकि उसको कोई संचालित नहीं कर रहा।
इसी तरह, पृथ्वी लगभग 67,000 मील प्रति घंटे की गति से सूर्य के चारों ओर घूम रही है. यह सूर्य के चारों ओर घूमने के लिए 24 घंटे लेती है। पृथ्वी की गति कभी नहीं बदलती।
पृथ्वी हमेशा बांये से दायें, सूर्य के चारो ओर घूमती है, कभी भी दांये से बांये नहीं। अगर यह सब संयोग से चल रहा है तो पृथ्वी को कभी कभी उल्टी दिशा में भी घूमना चाहिये।
 
सूर्य अपने निर्धारित समय पर ही निकलता है और अस्त होता है।

 
अत: यह तो मानना ही होगा कि किसी को "सही आकार" में पृथ्वी को बनाया और बनाया ही नहीं बल्कि 'सुनयोजित ढंग' से चला भी रहा है.
 
सूर्य ...
पृथ्वी सूर्य से सही दूरी पर स्थित है.

कुछ कम दूर होती तो हम जल जाते, कुछ ज्यादा दूर होती तो, जम जाते।
 
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है, जिससे उसकी सारी सतह गर्म-सर्द होती रहती है, रोजाना।
 
चंद्रमा और महासागर ....
हमारे चाँद सही आकार में है और इसकी गुरुत्वीय खींचने के लिए पृथ्वी से सही दूरी पर है । चाँद समुद्र के पानी के महत्वपूर्ण समुद्री ज्वार बनाता है, और उसको नियन्त्रित भी करता है, जिसके कारण अभी तक हमारे विशाल महासागरों महाद्वीपों पर फैल नहीं पाये हैं।
 
पृथ्वी के 97% हिस्से में जल है।  चाँद थोड़ा सा अपनी जगह से हिले तो पूरे सागर अपनी सीमा को पार कर जाएगा और पानी पूरी पृथ्वी पर फैल जाएगा.
पानी ....
पृथ्वी के पानी की 97% हिस्सा महासागरों में है । लेकिन हमारी पृथ्वी पर एक ऐसी प्रणाली है जिससे समुद्री पानी भाप बन कर उड़ता है, पर नमक छोड़ देता है, उससे बादल बनते हैं, और वही पानी पूरे विश्व में बरसता है। इस तकनीक से पानी का शोधन, होता रहता है व पुन: उपयोग होता रहता है, व सभी को जीवन मिलता रहता है।

ब्रह्मांड
 
रिचर्ड फेनमैन, को क्वांटम विद्युत के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। उनका कहना है कि , "प्रकृति की हर क्रिया गणितीय है, यह एक रहस्य है । यह चमत्कार की तरह है, कि प्रकृति के भी नियम हैं ।' प्रकृति के नियम कभी नहीं बदलते। क्यों ब्रह्मांड इतना विश्वसनीय, इतना व्यवस्थित है? बड़े से बड़ा वैज्ञानिक भी इस अद्भुत ब्रह्माण्ड से हैरान है । नियमों का पालन करना ब्रह्मांड के लिए कोई तार्किक आवश्यकतानहीं है, किन्तु यह गणित के नियमों का पालन करता है ।

वैज्ञानिक कहते हैं कि हमारा ब्रह्मांड ऊर्जा और प्रकाश के विस्फोट से प्रारम्भ हुया । वे इसी को ही समय का प्रारम्भ, इत्यादि भी बताते हैं। किन्तु इसका कारण उनको पता नहीं है।
 
अल्बर्ट आइंस्टीन का उदाहरण

एक दिन अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपने मित्र को पूछ कि अद्भुत ब्रह्मांड किसने बनाया? मित्र ने कहा कि यह एक संयोग से बना।

अल्बर्ट आइंस्टीन के तर्कों से मित्र आश्वस्त नहीं हुया।
 
अल्बर्ट आइंस्टीन ने अगले दिन रात के खाने के लिए उन्हें आमंत्रित किया ।

अगले दिन सुबह अल्बर्ट आइंस्टीन ने ब्रह्मांड का एक शीशे में मॉडल बनाया, जिसमें सभी ग्रह तैर रहे थे।
रात में उनके दोस्त रात के खाने के लिए आये और  उन्होंने ब्रह्मांड के ग्लास मॉडल को देखा और कहा कि यह किसने बनाया?
अल्बर्ट ने कहा कि ये संयोग से बना। मित्र ने कहा कि यह कैसे हो सकता है?
अल्बर्ट ने जवाब दिया .. मैंने इसलिए आपको खाने के लिए आमंत्रित किया था कि आपको कल के सवाल का जवाब दे सकूँ ।

अल्बर्ट ने कहा कि ब्रह्माण्ड का भी निर्माता है। अगर यह छोटा सा ब्रह्माण्ड संयोग से नहीं बन सकता तो इतना बड़ा ब्रह्माण्ड कैसे अपने आप बन सकता है। भगवान ने इसे बनाया है और इसको चला रहे हैं।
 
अल्बर्ट आइंस्टीन, "जैसे जैसे आप प्रकृति के गहरे रहस्य में प्रवेश करते जाते हैं, आपके भीतर भगवान के लिए सम्मान बढ़ता जाता है ।"
 
 

..इस्कान की पत्रिका 'भगवद् दर्शन के अंग्रेजी रूपान्तर से तथा स्पीकिंग ट्री से ।

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