जब कभी यात्रा के लिए घर से निकलें तो वैष्णवों को याद करना चाहिए।
हमारे मठ में तो सभी की 'जय ध्वनि' देने के बाद यात्रा आरम्भ करते हैं।
जय ध्वनि में गुरू जी को याद किया जाता है, परम गुरू जी को याद किया जाता है, प्रभुपाद जी को याद किया जाता है, ………………
वैष्णवों को याद करने से विघ्नों का नाश हो जाता है।
महान वैष्णव आचार्य श्रील नरोत्तम ठाकुर जी ने लिखा…………
जय रूप, सनातन, भट्ट रघुनाथ, श्रीजीव, गोपाल भट्ट, दास रघुनाथ……
एइ छः गोसाईं करि चरण वन्दन, याहा हइते विघ्न नाश, अभीष्ट पूरण…………
अर्थात् मैं इन छः गोस्वामियों की वन्दना करता हूँ, जिनके स्मरण से सारे विघ्न नाश हो जाते हैं और सारी इच्छायें पूरी हो जाती हैं।
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