गुरुवार, 16 फ़रवरी 2023

यदि चुम्बक लोहे को ना खींचे तो………

कभी-कभी ये प्रश्न मन में उठ सकता है कि भगवान श्रीकृष्ण सबको आकर्षित करते हैं, लेकिन मुझे तो नहीं कर रहे? ऐसा क्यों?  मैं तो कितना चाहता हूँ कि श्रीकृष्ण में मेरा मन लगे किन्तु मन तो लगता ही नहीं

वास्तविकता तो यह है कि श्रीकृष्ण तो आकर्षित कर रहे हैं, किन्तु मैं ही उनकी ओर आकर्षित नहीं हो रहा हूँ इसमें गलती मेरी ही है।

श्रील गुरू महाराज ॐ विष्णुपाद 108 श्रीश्रीमद् भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी एक उदाहरण देते हैं कि जैसे एक चुम्बक हो और एक लोहा हो। चुम्बक का स्वभाव है, लोहे को अपनी ओर खींचना और लोहे का स्वभाव है चुम्बक की ओर खींचे चले जाना।

लेकिन अगर लोहे के ऊपर गंदगी, मिट्टी जमी है, जंग लगी है तो लोहा और चुम्बक, दोनों के होने पर भी उनका आपस में आकर्षण देखा नहीं जायेगा। 

इसका यह अर्थ नहीं है कि चुम्बक खराब हो गया है या वो खींच नहीं रहा है। चुम्बक तो खींच रहा है लेकिन लोहे के ऊपर जो ये मिट्टी आदि जमी हुई है उसके कारण खिचाव नहीं देखा जा रहा है। 

उस खीचाव को देखने के लिए, लोहे के ऊपर लगे जंग या मिट्टी की परत को हटाना पड़ेगा। 

यहीं से श्रीचैतन्य महाप्रभु जी का उपदेश शुरु होता है - चेतोदर्पण……मार्जनं............

पहले चित्त रूपी दर्पण की सफाई करो………उसके बाद ही सब पता चलेगा………

भगवान श्रीकृष्ण तो सभी को आकर्षित कर रहे हैं अगर किसी के चित्त में मैल जमी है तो इसमें भगवान की क्या गलती है हमें ही अपने चित्त की मैल को हटाना होगा।





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