सोमवार, 1 जून 2020

श्रीगंगा माता गोस्वामी जी

श्रीगंगा माता गोस्वामी जी की
                     आविर्भाव तिथि पर विशेष....

श्रीगंगा माता गोस्वामिनी जी हमारे श्रीगदाधर पंडित गोस्वामी जी की शिष्य परम्परा में हैं.. वे श्री हरिदास पंडित गोस्वामी जी की दीक्षित शिष्या हैं....

         बचपन में आपके माता-पिता ने आपका नाम श्रीशची देवी रखा था.. 

आपके माता-पिता ने जब इनके विवाह करने की इच्छा प्रकट की तब आपने अपने माता-पिता जी को बोला कि वे किसी मरणशील व्यक्ति को अपने पति के रूप में स्वीकार नहीं करेंगी.... 

   ---------जब आपका विवाह भी नहीं हुआ था तब ही आप घर से अकेले ही तीर्थ भ्रमण के लिए निकल पड़ी.. 

         विभिन्न तीर्थों में भ्रमण करते करते जब आप वृन्दावन धाम पहुंची तो वहाँ पर हरिदास पंडित जी के दर्शन करके कृतार्थ हो गयी और आपने उनसे ही मंत्र दीक्षा ली ।

          आप प्रतिदिन श्रीगोवर्धन जी की परिक्रमा करती थी. और राधा कुंड के किनारे बैठकर भजन करती थी... जब आपके गुरु श्रीहरिदास जी ने देखा कि उनकी शिष्या अब भजन में काफी आगे बढ़ गयी हैं तो उन्होंने इन्हें पुरुषोत्तम धाम में श्रीवासुदेव सार्वभौम जी का स्थान जो लगभग लुप्त हो गया था, उसका उद्धार करने के लिए भेज दिया.. 

         सद्गुरू जी का आदेश पाकर आप वृन्दावन से पुरी धाम में चली आयीं और श्रीसार्वभौम जी के स्थान का उद्धार करने के उद्देश्य से सार्वभौम जी के स्थान पर रहकर, वहीं से वैष्णव धर्म का प्रचार करने लगीं.. 

आपके वैष्णवोचित गुणों से आकृष्ट होकर बहुत से भक्त आपके पास आने लगे.. धीरे धीरे आपका यश चारों और फैल गया......उस समय पुरी के राजा मुकुन्ददेव जी भी आपके मुखारविंद से श्रीमद् भागवत का पाठ सुनकर मुग्ध हुए बिना न रह सके ।

इसी बीच एक और अलौकिक घटना घटी .....वह ये कि कृष्णा त्रियोदशी तिथि को महा वारुणी स्नान का समय आ गया..... सभी उस स्नान को जाने लगे सबने शची माता जी को भी चलने के लिए कहा...... शची माता  गुरु जी आज्ञा पालन करने में लगे होने और अपने क्षेत्र संन्यास के कारण ना जाने की बात कही...... रात को सपने में श्री जगन्नाथ जी ने उनको श्वेतगंगा में स्नान करने की आज्ञा दी.. ...रात्रि में ही शची देवी श्वेत गंगा में डुबकी लगाई..... तभी वहाँ पर गंगा जो प्रकट हो गयी.. और अपने स्रोत से बहाकर उनको अंदर ही अंदर गंगा स्नान के लिए ले गयी. ....

इधर सुबह के समय मन्दिर के अंदर का शोर सुनकर जब जगन्नाथ मन्दिर के पुजारी मन्दिर के अंदर गये तो वहाँ शची माता जो को देखकर हैरान रह गए । उनलो लगा कि ये कल जगन्नाथ जी मन्दिर में चोरी करने के इरादे से मन्दिर के अंदर गयी होगी और किसी तरह यहीं फंस गयी....

वे लोग सारी बात राजा को बताने गये ही थे कि थोड़ी देर पहले जगन्नाथ जी राजा मुकुन्द के सपने में आए और कहा कि मैंने ही शची माता की सेवा से प्रसन्न होकर अपने पादपद्मों से गंगा प्रकट करवा कर उसे स्नान करवाया था...... साथ यह भी कहा कि अगर तुम शची माता से क्षमा मांगो और उनसे मन्त्र ले लो, इससे  तुम्हारे अपराध दूर हो सकेंगे अन्यथा नहीं.. तब राजा मुकुन्ददेव जगन्नाथ जी के सेवकों को साथ लेकर शची माता के पास पहुंचे.. पहले उन्होंने शची देवी को दंडवत प्रणाम किया और प्रणाम करते हुए उनसे क्षमा मांगी.. उसी समय से शची देवी 'गंगा माता गोस्वामी जी' के नाम से प्रसिद्ध हो गयी.......

       हम सभी भगवान् श्रीजगन्नाथ जी की विशेष  कृपापात्री परम वैष्णवी श्रीगंगा माता गोस्वामी जी के श्रीचरणों में दण्डवत् प्रणाम करते हुए उनकी कृपा प्रार्थना करते हैं ।

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