शनिवार, 2 मई 2020

जाह्नवा देवी जी

आज जाह्नवा देवी जी की आविर्भाव तिथि है
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द्वापर युग की श्रीकृष्ण लीला में  जो बलदेव जी की पत्नियाँ वारुणी और  रेवती थी,  वे ही इस अवतार में वसुधा देवी एवं जाह्नवा के नाम  से श्रीनित्यानन्द जी की दोनों पत्नियां हुई। यह दोनों सूर्य के समान तेजस्वी थी। इनके पिता सूर्य दास सरखेल जब अपनी दोनों कन्याओं के विवाह के लिए चिंतित थे, अब एक वृद्ध ब्राह्मण ने इनके पिता जी को कहा  था कि श्रीनित्यानंद जी इन दोनों कन्याओं के नित्य पति हैं । 

सूर्य दास सरखेल ने  उक्त  ब्राह्मण के निर्देश के अनुसार ही अपनी दोनों कन्याओं  को श्री नित्यानंद जी के चरणों में समर्पित कर दिया  था । 
श्री जाह्नवा देवी की कृपा के बिना कोई भी श्रीनित्यानंद जी की सेवा तथा उनके आराध्य श्रीगौरहरि और श्रीराधा-कृष्ण की प्रेम सेवा प्राप्त नहीं कर सकता। 

श्री भक्ति विनोद ठाकुर जी जाह्नवा देवी जी  की महिमा वर्णन करते हुए कहते हैं-----

   "ओ गो श्रीजाह्नवा देवी ! ए दासे करुणा।
                  आजि निजगुणे घुंचाओ यंत्रणा।।
 ( हे जाह्नवा देवी जी ! आप इस दास पर करुणा कीजिये तथा आज ही अपनी कृपा से तमाम दु;खों से बचा लीजिए)

    तोमार चरण तरि करिया आश्रय। 
          भवाणर्व पार ह'व्  कारेछि निश्चय ।।
( मुझे  पूरा विश्वास है जो भी आपके चरणों का आश्रय  लेगा , आप उसे भवसागर से पार करवा देंगी।)

     तुमि नित्यानंद शक्ति ,कृष्णभक्ति ,गुरु। 
               ए दासे करह दान पद -कल्पतरु ।।
(आप श्रीमन् नित्यानंद जी की शक्ति हो तथा कृष्ण-भक्ति की गुरु हो। आप कृपा करके तमाम इच्छाओं को पूर्ण करा देने वाले अपने चरण -कल्पतरुओं को मुझे प्रदान कर दीजिए )

       कत कत पामरेरे करेछ उद्धार।
            तोमार चरणे आज ए कांगाल  छार।।
(आपने न जाने कितने पतितों का उद्धार  किया है, इसलिए आज ये तुच्छ कंगाल भी ,आपके चरणों में प्रार्थना कर रहा है। ) 

आज श्रीजाह्नवा देवी जी की आविर्भाव तिथि पर श्रीभक्ति विनोद ठाकुर जी के इस कीर्तन को बार-बार दोहराते हुए हम उनकी कृपा प्रार्थना करते हैं।

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