भगवान श्रीकृष्ण ने स्पष्ट रूप से कहा श्रीमद् भगवद् गीता में कि निश्चित रूप से जान लो, कि जब तक तुम भगवान की शरण में नहिं जाओगे, तब तक तुम्हें शान्ति नहीं मिल सकती।
संसार के अक्सर देखा जाता है कि किसी कोई इच्छा हो और उसे वो वस्तु मिल जाये तो स्वाभाविक रूप से उसे संतुष्टि होती ही है। अब हमारी परिपूर्ण सन्तुष्टि कैसे होगी? संसार में तो ऐसा होता है कि कोई इच्छा पूर्ण हो जाती है तो कभी कोई इच्छा पूर्ण नहीं भी होती। हो जाये तो प्रसन्न और अगर काम पूरा नहीं हुआ तो दुःखी। भगवान श्रीकृष्ण कह रहे हैं की ऐसा सुख बता रहा हूँ जो कभी खत्म ही नहीं होगा। ऐसी शान्ति जो कभी लोप ही नहीं होगी।
अखिल ब्रह्माण्ड नायक, सभी के मूल भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं - जब तक तुम मेरी शरण में नहीं आओगे तब तक तुम्हें परम शान्ति नहीं मिल सकती। हरेक भाव से, पूर्ण रूप से मुझमें समर्पित हो जाओ।
जब तुम भगवान के चरणों में अपने को समर्पित हो जाओगे तो उनकी अनुकम्पा से तुम्हें परम शान्ति मिलेगी।
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