गुरुवार, 2 जनवरी 2020

भक्त की प्रार्थना

श्रीमद् भागवतम् में वृत्र नाम के एक भक्त की चर्चा है। हवन कुन्ड से उनका प्राकट्य हुआ। वे भगवान बलराम जी के अंश संकर्षण भगवान के उपासक थे। इतनी भक्ति की, कि भगवान संकर्षण उनके समक्ष प्रकट हो गये। उनको जिस दिन भगवद् अनुभूति हुई, जिस दिन उन्हें संकर्षण भगवान की अनुभूति हुई, उस दिन भगवान ने कहा कि मुझ से वरदान मांगो। भक्त वृत्र ने कहा हे प्रभु मुझे ये वरदान दें कि मेरी मित्रता, मेरा लगाव आपके प्रेमी भक्तों के साथ हो जाय। मुझे केवल यही वरदान चाहिये कि आपके प्रेमी-भक्त मेरे मित्र हो जायें। 

जब वृत्र और इन्द्र का युद्ध हुआ तो युद्ध के दौरान वृत्र ने इन्द्र से कहा -- हे इन्द्र! मेरी बार सुनो! मैं अपने प्रभु के पास जाना चाहता हूँ अतः तुम मुझे अपने वज्र से मार दो। 

इस बात से पहले हुआ यह था कि इन्द्र ने वृत्र पर गदा से प्रहार किया था। तब वृत्र ने अपने बायें हाथ से गदा को थाम लिया था व उलटा इन्द्र के हाथी ऐरावत पर दे मारी थी। उसके प्रहार से ऐरावत हाथी चक्कर खाता हुआ काफी पीछे जा गिरा था।

इन्द्र मन ही मन सोचता है कि इसके पास वो कला है, जो भी अस्त्र-शस्त्र का प्रयोग करूँगा, ये बायें हाथ से पकड़ कर मुझे मारेगा और ये वज्र तो अमोघ है, ये मुझे ज़िन्दा ही नहीं छोड़ेगा।  

इधर वृत्रासुर इन्द्र की मनोभावना जानते हुए उसको समझाते हैं कि देखो ये वज्र साधारण अस्त्र नहीं है। इसे तो भगवान ने दधिचि की हड्डियों से बनवाया था। इसको मुझे मारने के लिए ही बनाया गया था। अतः घबराओ नहीं, इससे मुझ पर प्रहार करो। वृत्र जानते हैं कि इन्द्र मन ही मन सोच रहा है कि मैं उसे उकसा रहा हूँ ताकि उसी के वज्र से मैं उसे मार दूँगा और उसका राज्य अर्थात् स्वर्ग हथिया लूँगा। किन्तु इसे अब कौम समझाये कि मुझे तो उस राज्य की इच्छा ही नहीं है। 


अतः वृत्र मन ही मन अपने प्रभु से बात करने लगा कि हे प्रभु! मेरी तो ऐसी स्थिति है जैसे चिड़िया के छोटे-छोटे बच्चे उड़ना चाहते हैं, उड़ नहीं सकते, भूख लगी है, चींची करते हैं कि कब माँ आयेगी और उनके मुख में दाना डालेगी। प्रभु मेरी भी वैसी ही स्थिति है कि मैं उड़ कर आपके पास आ नहीं सकता हूँ केवल यहाँ से पुकार सकता हूँ, रो सकता हूँ। प्रभु मेरी ऐसी स्थिति है जैसे गाय का मालिक बछड़े को बाँध दे, और उसकी माँ अर्थात् गाय वहाँ से दूर चली गई है। बछड़ा रम्भा सकता है, माँ को बुलाने के लिये, अगर माँ उसके पास आ जाये उसे दूध पिलाने के लिये, तभी उसका पेट भर सकता है। हे प्रभु! मैं भी तमो-रजो-गुणों की रस्सी से बँधा हुआ हूँ, मैं आपके पास आ नहीं सकता हूँ, जैसे माँ उस बछड़े के पास आ जाती है, आप आप भी मेरे पास आ जायें। 

यहाँ पर भक्त भगवान के पास जाने के लिए मृत्यु को बुला रहा है। 

प्रभु मैं ये भी नहीं चाहता हूँ कि आप मुझे इस जन्म से मुक्त कर दें। आपने अगर मुझे दोबारा संसार में भेजना ही है तो मेरी बस इतनी सी प्रार्थना है कि मुझे ये वरदान दें कि मेरी मित्रता, मेरा लगाव आपके प्रेमी भक्तों के साथ हो जाय। 

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