बुधवार, 25 सितंबर 2019

भगवान जगन्नाथ जी

भगवान जगन्नाथ जी की क्या बात है, बहुत से उत्सव हैं उनके, चन्दन यात्रा, स्नान यात्रा, गुण्डिचा मन्द्र मार्जन, रथ यात्रा आदि। भगवान की इच्छा को पूरा करना भगवद् भक्ति और भगवान के भक्तों की इच्छा को पूरा करना, ये वैष्णव सेवा कहलाती है,।  भगवद भक्ति की महिमा से जयादा महिमा वैष्णव सेवा की है। कई जगह पर ऐसा देखा गया कि भक्तों कि इच्छा को पूरा करने के लिये भगवान ने अपने नियम बदल दिये, प्रबल प्रेम के पाले पड़ कर हरि का नियम बदलते देखा, अपना मान भले टल जाय, पर भक्त का मान न टलते देखा, …भगवान अपने भक्तों की इच्छा को पूरा करते हैं।  बड़ी महिमा है भक्तों की इच्छा के मुताबिक, चलने के लिये, उनके मुताबिक बोलने की…

वैसे तो जगनाथ जी से हमारा गहरा रिशता है! 'जगन्नाथ' शब्द का अर्थ है, जगत नाथ -- जगत के नाथ अथवा मालिक। अर्थात् भगवान जगन्नाथ जी सारे जगत के मालिक हैं। हम जगत के वासी, जगत में रहने वाले हैं, और वो मालिक हैं, यानि कि हम सबके प्रभु हैं, सेव्य हैं। जगन्नाथ जी से हमारा गहरा रिश्ता है। कभी जगन्नाथ पुरी जायें, उनके दर्शन करें, फोटो
में भी दोनों बाजु पसार करके खड़े हैं, ठीक जैसे वात्सल्यमयी माँ दोनों भुजा पसारकर बच्चे को अपने पास बुलाती है, बच्चा आ जाता है तो उसे आलिंगन करती है, इसी तरहे से भगवान जगन्नाथ जी दोनों बाजु पसारकर हमें बुला रहे हैं कि बच्चो इस संसार में क्यों इतने दुःख पा रहे हो, इस संसार के 84 लाख के चक्र में क्यों भटक रहे हो, आओ मेरे पास आओ, ……………भगवान बुला रहे हैं। 

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