बुधवार, 20 मार्च 2019

श्रीनवद्वीप धाम के अन्तर्गत -- श्रीरुद्र-द्वीप

यह उस समय की बात है, श्रीगौरहरि तब प्रकट नहीं हुए थे । श्रीरुद्रदेव जी नवद्वीप धाम में घूम-घूम कर श्रीगौरहरि जी के गुण्गान करते फिरते थे। 

एक दिन, स्वर्ग लोक के देवगण यह कह कर नृत्य करने लगे कि अब प्रभु नदीया में अवश्य जन्मग्रहण करेंगे। महाप्रभुजी गुणगान में श्रीरुद्रदेव आत्म-विभोर हो गये, श्रीरुद्र की ऐसी अवस्था देख श्रीमहाप्रभु जी भी अधीर हो गये तथा स्वयं ही रुद्रदेव को दर्शन देने चल पड़े। प्रबोधन देकर आपने श्रीरुद्र देव को स्थिर किया और कहा -- 'तुम चिन्ता मत करो, कुछ ही दिनों में मैं तुम्हारी मनोवृत्ति को सफल करूँगा एवं शीघ्र ही अपने पार्षदों के साथ नवद्वीप में प्रकट होऊँगा।

प्रभु के वाक्य सुनकर श्रीरुद्रदेव काफी देर आनन्द में नृत्य करते रहे और फिर स्थिर हो गये। विविध प्रकार से श्रीगौरचन्द्र जी की स्तुति करने लगे।
श्रीगौरसुन्दर जी प्रेमाविष्ट होकर, श्रीरुद्रदेव जी को आलिंगन कर अदृश्य हो गये।

प्रभु के अदर्शन से श्रीरुद्रदेव जी का चित्त व्याकुल हो गया, परन्तु कुछ समय बाद स्थिर होकर श्रीरुद्र देव अपने गणों के साथ श्रीगौरांग देव के गुणगान में व्यस्त हो गये। यहाँ पर श्रीरुद्र देव ने वास कर, श्रीगौरांग का गुणगान किया था……इसलिए इसे रुद्रद्वीप कहते हैं ।

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