मंगलवार, 29 अगस्त 2017

जब श्रीमती राधाजी के पिता-माता ने उन्हें पुनः प्राप्त किया

वृज में ऐसा सुना जाता है कि एक बार श्रीकृष्ण ब्राह्मण पुरोहित का रूप धारण कर श्रीमती राधा रानी के पास गये और उनसे धन की याचना की। 

श्रीमती राधा रानी के पास धन न होने के कारण एवं ब्राह्मण को खाली हाथ न लौटा सकने के कारण उन्होंने अपनी देह ही ब्राह्मण को समर्पण कर दी।
जब ब्राह्मण, श्रीमती राधा जी को ले जाने लगा तो श्रीमती राधारानी के पिता-माता अत्यन्त चिंतित और व्याकुल हो उठे। उन्होंने ब्राह्मण से राधाजी को छोड़ने के लिये कहा तो ब्राह्मण बोले कि राधारानी के भार के बराबर सोना देने पर मैं इसे छोड़ दूँगा। 

इस पर श्रीमती राधारानी के पिता-माता ने राधारानी के भार के बराबर सोने का दान दिया एवं राधारानी को पुनः प्राप्त किया।

ब्राह्मण पुरोहित रूप धारी श्रीकृष्ण को राधाजी ने जहाँ अपनी देह समर्पति की थी, वह स्थान देहकुण्ड के नाम से प्रसिद्ध है। वहाँ श्रीमती राधाजी के चरण-चिन्ह भी विराजित हैं।

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