रविवार, 15 मई 2016

श्रीनित्यानन्द शक्ति, श्रीमती जाह्नवा माता



अखिल भारतीय श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ के वर्तमान आचार्य श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी ने अपनी रचना 'श्रीगौर पार्षद एवं गौड़ीय वैष्णव-आचार्यों के जीवन चरित्र' में बताया की श्रीकृष्ण लीला में पहले जो श्रीबलराम जी की पत्नियाँ वारुणी और श्वेतवंश में उत्पन्न रेवती थीं, वे ही श्रीगौर लीला में वसुधा एवं जाह्नवा नाम से श्रीनित्यानन्द जी की दो पत्नियाँ हुईं।
ये दोनों सूर्य के समान तेजस्वी व सूर्यदास की कन्याएँ थीं। यह सूर्यदास ही पहले रेवती के पिता ककुद्मी थे। 

श्रीमती जाह्नवा जी के पिता का नाम श्रीसूर्यदास सरखेल था। माता जी का नाम श्रीमती भद्रवती था।

विष्णु-तत्त्वमात्र की ही तीन शक्तियां विद्यमान हैं -- 'श्री', 'भू' और 'नीला' या 'लीला'। भगवद् - तत्त्व -- श्री नित्यानन्द प्रभु में भी उक्त तीन शक्तियों का प्रकाश है।
श्रीनित्यानन्द शक्ति, श्रीमती जाह्नवा देवी की कृपा के बिना कोई भी भव-सागर से उत्तीर्ण नहीं हो सकता। श्रीजाह्नवा देवी की कृपा के बिन कोई भी श्रीनित्यानन्द जी की सेवा और उनके ही आराध्य श्रीगौरहरि और श्रीराधा-कृष्ण की प्रेम-सेवा प्राप्त नहीं कर सकता।

श्रीक्षीरोदकशायी विष्णु एवं सक्षात् श्रीगंगा देवी ही श्रीनित्यानन्द शक्ति श्रीवसुधा को अवलम्बन करके पुत्र और कन्या रूप में प्रकटित हुए - पुत्र श्रीवीरभद्र गोस्वामी या श्रीवीरचन्द्र गोस्वामी तथा कन्या श्रीगंगा।

एक बार श्रीवीरचन्द्र प्रभु को श्रीजाह्नवा माता जी का चतुर्भुज रूप में दर्शन हो गया, जिससे उनका मन बदल गया और उन्होंने श्रीजाह्नवा माता जी से दीक्षा ले ली।

श्रीमती जाह्नवा देवी जी की जय !!!

आपके आविर्भाव तिथि पूजा महामहोत्सव की जय !!!!

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