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वेद-शास्त्र में इस प्रकार निर्देश है कि यदि कोई व्यक्ति विवाह करता है और
विवाह के बाद यदि उस व्यक्ति की जगह अन्य किसी वर्ण के व्यक्ति से सन्तान उत्पत्ति हो तो वह सन्तान उसी व्यक्ति के वर्ण की कहलाती है, जिससे उस स्त्री का पहले विवाह हुआ होता है। ये धर्म-विवेचना करके ही क्षत्रिय-पत्नियों ने ब्राह्मणों से संसर्ग किया जिससे पुनः क्षत्रियों की उत्पत्ति हुई।
विवाह के बाद यदि उस व्यक्ति की जगह अन्य किसी वर्ण के व्यक्ति से सन्तान उत्पत्ति हो तो वह सन्तान उसी व्यक्ति के वर्ण की कहलाती है, जिससे उस स्त्री का पहले विवाह हुआ होता है। ये धर्म-विवेचना करके ही क्षत्रिय-पत्नियों ने ब्राह्मणों से संसर्ग किया जिससे पुनः क्षत्रियों की उत्पत्ति हुई।
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