शुक्रवार, 23 अक्तूबर 2015

दो शब्द पवित्र कार्तिक मास के व्रत के लिये

कार्तिक का महीना, बारह महीनों में से श्रेष्ठ है।

यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय है।

इस महीने में किया गया थोड़ा सा भजन भी बहुत ज्यादा फल देता है।


वैसे तो कार्तिक का महीना..........
एकादशी 24 अक्तूबर से प्रारम्भ होकर एकादशी, 22 नवम्बर तक है, किन्तु इस व्रत को पूर्णिमा (27 नवम्बर) से पूर्णिमा (25 नवम्बर) तक भी रखा जा सकता है।

श्रीचैतन्य गौड़ीय मठ के भक्त इस महीने में अष्ट-याम कीर्तन का पाठ करते हैं, जिसका वर्णन भजन रहस्य नामक ग्रन्थ में है।

प्रातःस्मरणीय गुरुदेव, श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी कहते हैं कि हर किसी को इस कार्तिक व्रत अनुष्ठान में भाग लेना चाहिये।

इस महीने में निम्नलिखित नियम पालन करने की चेष्टा करनी चाहिये -
1- रोज़ाना भगवान श्रीकृष्ण के मन्दिर में व तुलसी जी को दीपक दिखाना चाहिये।

2-
दामोदर-अष्टकम् भी गाना चाहिये ।
(
अर्थ चिन्तन के साथ)

3-
श्रेष्ठ वैष्णवों से श्रीमद् भागवतम् सुननी चाहिये - विशेषकर के गजेन्द्र-मोक्ष प्रसंग जो कि श्रीमद् भागवतम् के आठवें स्कन्ध में दिया है।

4-
अगर सुनने न जाया जा सके, तो इस प्रसंग को कम से कम शुद्ध भक्तों द्वारा दी गयी टीका व मूल श्लोक के साथ अवश्य पढ़ना चाहिये।

5- सम्भव हो तो श्रीशिक्षाष्टकम्, श्रीउपदेशामृत, श्रीमनःशिक्षा, श्रीजैव धर्म, श्रीभजन रहस्य आदि ग्रन्थों में से किसी एक ग्रन्थ का पाठ अवश्य करना चाहिये।

6-
इस महीने में हमें बैंगन, लौकी, राजमा, सोया, उड़द दाल, परमल, सरसों के दाने व उसके तेल इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिये।

7-
इस व व्रत में ज्यादा से ज्यादा शुद्ध भक्तों का संग व निष्ठा से हरे कृष्ण महामन्त्र का जप व कीर्तन करना चाहिये।

आज कार्तिक महीने का अधिवास दिवस है।


हमें यह अवश्य निश्चित करना चाहिये कि हम इस पवित्र महीने में कौन-कौन से आध्यात्मिक कार्य करेंगे । 
तथा
गुरु-वैष्णव-भगवान से कृपा प्रार्थना करनी चाहिये ताकि वे हमें बल दें, जिससे हम इन आध्यात्मिक नियमों को पूर्ण कर सकें।
श्रीराधा-दामोदर भगवान की जय ! ! ! !

कार्तिक व्रत की जय ! ! ! !

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