डा मार्क एक प्रसिद्ध कैन्सर स्पैश्लिस्ट हैं, एक बार किसी सम्मेलन में भाग लेने लिये किसी दूर के शहर जा रहे थे। वहाँ उनको उनकी नयी मैडिकल रिसर्च के महान कार्य के लिये पुरुस्कृत किया जाना था। वे बड़े उत्साहित थे, व जलदी से जलदी वहाँ पहुँचना चाहते थे। उन्होंने इस शोध के लिये बहुत मेहनत की थी। बड़ा उतावलापन था उनका, उस पुरुस्कार को पाने के लिये।
जैसे ही उन्होंने यात्रा शुरु की, कुछ देर बाद बहुत तेज़, आँधी-तूफान शुरु हो गया। रास्ता लगभग दिखना बन्द सा हो गया। इस आपा-धापी में वे गलत रास्ते की ओर मुड़ गये। लगभग दो घन्टे भटकने के बाद उनको समझ आ गया कि वे रास्ता भटक गये हैं। थक तो वे गये ही थे, भूख भी उन्हें बहुत ज़ोर से लग गयी थी। उस सुनसान सड़क पर भोजन की तलाश में वे गाड़ी इधर-उधर चलाने लगे। कुछ दूरी पर उनको एक झोंपड़ी दिखी।
उसने कई प्रकार की प्रार्थनायें कीं। डाक्टर मार्क को लगा कि हो न हो, इस स्त्री को कुछ समस्या है। जैसे ही वो औरत अपने पूजा के स्थान से उठी, तो डाक्टर ने पूछा - आपको भगवान से क्या चाहिये? क्या आपको लगता है कि भगवान आपकी प्रार्थनायें सुनेंगे?
उड़ने के लगभग दो घण्टे बाद उनके जहाज़ में तकनीकी खराबी आ गयी, जिसके कारण उनके
हवाई जहाज को आपातकलीन लैंडिंग करनी पड़ी। डा मार्क को लगा कि वे अपने सम्मेलन में सही समय पर नहीं पहुँच पायेंगे, इसलिये उन्होंने स्थानीय कर्मचारियों से रास्ता पता किया और एक टैक्सी कर ली, सम्मेलन वाले शहर जाने के लिए। उनको पता था की अगली प्लाईट 10 घण्टे बाद है। टैक्सी तो मिली लेकिन ड्राइवर के बिना, इसलिए उन्होंने खुद ही टैक्सी चलाने का निर्णय लिया।
हवाई जहाज को आपातकलीन लैंडिंग करनी पड़ी। डा मार्क को लगा कि वे अपने सम्मेलन में सही समय पर नहीं पहुँच पायेंगे, इसलिये उन्होंने स्थानीय कर्मचारियों से रास्ता पता किया और एक टैक्सी कर ली, सम्मेलन वाले शहर जाने के लिए। उनको पता था की अगली प्लाईट 10 घण्टे बाद है। टैक्सी तो मिली लेकिन ड्राइवर के बिना, इसलिए उन्होंने खुद ही टैक्सी चलाने का निर्णय लिया।
झोंपड़ी के बिलकुल नज़दीक उन्होंने उन्होंने अपनी गाड़ी रोकी। परेशान से होकर गाड़ी से उतरे और उस छोटे से घर का दरवाज़ा खटखटाया। एक स्त्री ने दरवाज़ा खोला। डा मार्क ने उन्हें अपनी स्थिती बताई और एक फोन करने की इज़ाजत माँगी। उस स्त्री ने बताया कि उसके यहाँ फोन नहीं है। फिर भी उसने उनसे कहा कि आप अन्दर आइये और चाय पीजिये। मौसम थोड़ा ठीक हो जाने पर, आगे चले जाना।
भूखे, भीगे और थके हुये डाक्टर ने तुरन्त हामी भर दी। उस औरत ने उन्हें बिठाया, बड़े सम्मान के साथ चाय दी व कुछ खाने को दिया। साथ ही उसने कहा - आइये, खाने से पहले भगवान से प्रार्थना करें और उनका धन्यवाद कर दें। डाक्टर उस स्त्री की बात सुन कर मुस्कुरा दिये और बोले - मैं इन बातों पर विश्वास नहीं करता। मैं मेहनत पर विश्वास करता हूँ। आप अपनी प्रार्थना कर लें।
टेबल से चाय की चुस्कियाँ लेते हुये डाक्टर उस स्त्री को देखने लगे जो अपने छोटे से बच्चे के साथ प्रार्थना कर रही थी।
उस औरत ने धीमे से उदासी भरी मुस्कुराहट बिखेरते हुये कहा - ये मेरा लड़का है और इसको एक रोग है जिसका इलाज डाक्टर मार्क नामक व्यक्ति के पास है। परन्तु मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं उन तक, उनके शहर जा सकूं। क्योंकि वे दूर किसी शहर में रहते हैं। यह सच है की कि भगवान ने अभी तक मेरी किसी प्रार्थना का जवाब नहीं दिया है किन्तु मुझे विश्वास है कि भगवान एक न एक दिन कोई रास्ता बना ही देंगे। वे मेरा विश्वास टूटने नहीं देंगे। वे अवश्य ही मेरे बच्चे का इलाज डा मार्क से करवा कर इसे स्वस्थ कर देंगे।
आँखों में आँसु लिये धीरे से बोले - भगवान बहुत महान हैं।
(उन्हेंं सारा घटनाक्रम याद आने लगा। कैसे उन्हें सम्मेलन में जाना था। कैसे उनके जहाज को इस अनजान शहर में आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी। कैसे टैक्सी के लिये ड्राइवर नहीं मिला, और वे रास्ता भटक गये, तुफान की वजह से। और यहाँ आ गये।)
वे समझ गये कि यह सब इसलिये नहीं हुआ कि भगवान को केवल इस औरत की प्रार्थना का उत्तर देना था, बलकी भगवान उन्हें भी एक मौका देना चाह्ते थे कि वे भौतिक जीवन में धन कमाने, प्रतिष्ठा कमाने, इत्यादि से ऊपर उठें और असहाय लोगों की सहायता करें। वे समझ गये की भगवान चाहते हैं कि मैं उन लोगों का इलाज करूँ जिनके पास घन तो नहीं है किन्तु जिन्हें भगवान पर विश्वास है।
Viswaso phaldaykam
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