मंगलवार, 18 अगस्त 2015

आज भी श्रीखण्ड में आधा लड्डू लिये श्रीगोपीनाथ जी विराजमान हैं।

भारत के राज्य बंगाल में श्रीखण्ड नामक जगह पर भगवान के भक्त रहते थे, श्रीमुकुन्द दास। आप अपने घर में श्रीगोपीनाथ जी के विग्रह (मूर्ति) की सेवा करते थे। 

एक बार आपको किसी कार्य से बाहर जाना था। तब आपने अपने पुत्र रघुनन्दन को बुलाया व कहा कि आपको किसी विशेष कार्य से बाहर जाना पड़ रहा है। घर में श्रीगोपीनाथ जी हैं। सही समय पर माताजि से भोग की थाली लेकर ठाकुर को बड़े यत्न से भोग लगा देना।



रघुनंदन ने हामी भर दी।

आप कार्य के लिए चले गये।


माता जी ने जब भोग थाली में सजा दिया तो रगुनंदन को आवाज़ लगाई कि आकर भोग लगा दे। रघुनंदन जी अपने मित्रों के साथ खेल रहे थे। माता की आवाज़ पर अन्दर आये व भोग की थाली श्रीगोपीनाथ जी के आगे रखकर बोले - आप इसे खायें, मैं कुछ देर में थाली ले जाऊँगा।


थोड़ी देर में रगुनंदन जब अन्दर आये तो देखा थाली वैसी की वैसी ही रखी 
है, और श्रीगोपीनाथ जी ने उसे छुआ भी नहीं है। बालक रघुनंदन सरल भाव में रोने लगे। आप डर गये कि पिताजी को जब पता लगेगा कि आपकी गलती की वजह से गोपीनाथ जी ने कुछ नहीं खाया तो आपको डांट पड़ेगी। आप रोते-रोते गोपीनाथ जी को निवेदन करने लगे कि कृपया आप खायें। 

बालक भक्त को ऐसे रोते देख गोपीनाथ जी से रहा नहीं गया, और उन्होंने गुप्त रूप से सारा भोग खा लिया।


सन्ध्या में श्रीमुकुन्द जी आये तो बालक से बोले - जाओ, गोपीनाथ जी का प्रसाद ले आओ। 

बालक रघुनंदन ने कहा कि वह तो गोपीनाथ जी सारा खा गये, कुछ बचा ही नहीं।

श्रीमुकुन्द यह सुनकर हैरान रह गये, पर कुछ बोले नहीं।

फिर कुछ दिन बाद, बालक को सेवा करने के लिये कह कर स्वयं घर से बाहर जाकर, और फिर घर में आकर छिप गये।

भोग का जब समय हुआ, तो रघुनंदन जी ने माता द्वारा भोग की थाली में सजाये गये लड्डू को उठाया व गोपीनाथ जी को लड्डू देते हुये बोले - लो खाओ, लो खाओ।


गोपीनाथ जी फिर प्रकट हो गये और बालक रघुनंदन के हाथ से लड्डू लेकर 
खाने लगे। श्रीगोपीनाथ जी ने जब आधा लड्डू खा लिया तो उसी समय श्रीमुकुन्द जी कमरे में देखने के लिये आ गये।

आधा लड्डू जो बच गया था, वो गोपीनाथ जी ने नहीं खाया। यह देखकर मुकुन्द जी प्रेम में विभोर हो गये , आपके नयनों से अश्रुधारा बहने लगी, कण्ठ गद् - गद् हो गया और अति प्रसन्न होकर आपने रघुनन्दन को गोद में उठा लिया।


आज भी श्रीखण्ड में आधा लड्डू लिये श्रीगोपीनाथ जी विराजमान हैं। 


कोई भाग्यवान ही उनके दर्शन पा सकता है।

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