
उस समय ऐसी स्थिति हो गयी थी कि ब्राह्मणगण प्रायः बौद्ध होकर वैदिक धर्म का परित्याग करते जा रहे थे। असाधारण शक्तिशाली श्रीशंकर जी के अवतार श्रीशंकराचार्य के प्रकट होकर वेद-शास्त्र के सम्मान की स्थापना की। यह कार्य असाधारण था।
भारतवर्ष इस महान कार्य के लिये श्रीशंकराचार्य जी का सदा ॠणी रहेगा।
सभी कार्यों क जगत् में दो प्रकार से विचार होता है। कुछ कार्य तात्कालिक होते हैं और कुछ सार्वकालिक । श्रीशंकराचार्य जी का यह कार्य तात्कालिक था। श्रीशंकराचार्य जी ने जो नींव डाली, उसी नींव के ऊपर श्रीरामानुजाचार्य आदि आचार्यों ने विशुद्ध वैष्णव-धर्म का महल खड़ा किया। अतएव श्रीशंकरावतार (श्रीशंकराचार्य जी) वैष्णव धर्म के परम बन्धु हैं। (श्रील भक्ति विनोद ठाकुर द्वारा रचित - श्रीजैव धर्म से)
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