एकादशी-व्रत को पालन करने के दो भिन्न-भिन्न तरीके हैं।
पहला -- शुद्ध भक्ति विचार।
दूसरा -- कर्मकाण्ड (स्मार्त) विचार ।
शुद्ध-भक्त भगवान श्रीकृष्ण एवं उनके भक्तों की संतुष्टि के लिए ही एकादशी-व्रत का पालन करते हैं न कि भौतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए।
परन्तु कर्मकाण्डी (स्मार्त), एकादशी-व्रत, अन्य व्रतों का पालन दुनियावी इच्छाओं की पूर्ति के लिए करते हैं।
वास्तव में एकादशी-व्रत श्रीकृष्ण-प्रेम की प्राप्ति की शुद्ध-भक्ति-साधनाओं में से एक साधना है।
कर्मकाण्ड में बद्ध व अज्ञानी जीवों (मनुष्यों) को भौतिक लाभों का प्रलोभन देकर उन्हें एकादशी-व्रत का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाता है परन्तु यह बात शुद्ध-भक्तों के ऊपर लागू नहीं होती है।
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