प्रत्येक जीव अपने कर्मों का फल भोगता है।
हमें अपने कर्मों के अनुसार जन्म, परिवेश, वातावरण व वैभव प्राप्त होता है। इसके लिए कोई उत्तरदायी नहीं होता।
हमें कर्म करने का अधिकार है परन्तु कर्म-फल श्रीकृष्ण के अधीन होते हैं। हमें अधीर नहीं होना चाहिए। धीरे-धीरे हम जन्म-मृत्यु के महासमुद्र को पार कर लेंगें।
हमें श्रीकृष्ण, श्रीनित्यानन्द प्रभु व श्रीगौरांग-महाप्रभुजी के पवित्र नामों का कीर्तन करते रहना चाहिए तथा निरन्तर उनसे प्रार्थना करनी चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण, जो कि सर्वशक्तिमान हैं, उनके लिये कुछ भी करना असम्भव नहीं है।
-- श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी।
हमें अपने कर्मों के अनुसार जन्म, परिवेश, वातावरण व वैभव प्राप्त होता है। इसके लिए कोई उत्तरदायी नहीं होता।
हमें कर्म करने का अधिकार है परन्तु कर्म-फल श्रीकृष्ण के अधीन होते हैं। हमें अधीर नहीं होना चाहिए। धीरे-धीरे हम जन्म-मृत्यु के महासमुद्र को पार कर लेंगें।
हमें श्रीकृष्ण, श्रीनित्यानन्द प्रभु व श्रीगौरांग-महाप्रभुजी के पवित्र नामों का कीर्तन करते रहना चाहिए तथा निरन्तर उनसे प्रार्थना करनी चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण, जो कि सर्वशक्तिमान हैं, उनके लिये कुछ भी करना असम्भव नहीं है।
-- श्रील भक्ति बल्लभ तीर्थ गोस्वामी महाराज जी।


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