गुरुवार, 7 अगस्त 2014

किसका दोबारा जन्म नहीं होता?

मैं भगवान का नित्य दास हूँ, इस भावना में जो प्रतिष्ठित रहता है, और क्रियायें भी वैसी ही करता है, उसका दोबारा जन्म नहीं होता।

श्रीमद् भगवद् गीता (4/9) में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं - हे अर्जुन ! जो मेरे आविर्भाव तथा कर्मों की दिव्य प्रकृति को जानता है, वह इस शरीर को छोड़ने पर इस भौतिक संसार में पुनः जन्म नहीं लेता, अपितु मेरे सनातन धाम को प्राप्त होता है।
श्रील ए. सी. भक्तिवेदान्त स्वामी महाराज जी (संस्थापक - इस्कान) अपनी व्याख्या में बताते हैं कि जो मनुष्य भगवान के आविर्भाव के सत्य को समझ लेता है, वह इस भवबन्धन से मुक्त हो जाता है और इस शरीर को छोड़ते ही वह तुरन्त भगवान के धाम को लौट जाता है। 

जो कोई भगवान कृष्ण को परब्रह्म करके जानता है या उनसे कहता है कि आप वही परब्रह्म श्रीभगवान हैं, तो वह निश्चित रूप से अविलम्ब मुक्त हो जाता है।

वेद वचन है - तमेव विदित्वाति मृत्युमेति नान्य: पन्था विद्यतेऽयनाय -- 'श्रीभगवान को जान लेने से ही मनुष्य जन्म और मृत्यु से मुक्ति की पूर्ण अवस्था प्राप्त कर सकता है । इस सिद्धि को प्राप्त करने का कोई अन्य विकल्प नहीं है।  ( श्वेताश्वतर उपनिषद् 3/8)

अतः मनुष्य को चाहिये कि श्रद्धा तथा ज्ञान के साथ कृष्णभावनामृत का अनुशीलन करे और यही सिद्धि प्राप्त करने का उपाय है। 

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