सोमवार, 9 जून 2014

एकादशी तिथि और हम



  • एकादशी व्रत में सभी प्रकार के भोग-विलास का सर्वथा त्याग करना चाहिए। इसके अलावा स्त्री-संग, जुआ खेलना, दिन में सोना, नशा करना, किसी की निन्दा करना या सुनना, नीच व्यक्ति से बातचीत करना, झूठ बोलना, क्रोध करना, मद्यपान करना, इत्यादि -- ये सब वर्जित कर्म दशमी, एकादशी और द्वादशी - इन तीनों दिनों मे, त्याग देने चाहिएं  ----- भगवान श्री कृष्ण
  • एकादशी का पालन करने से जीव, काल के हाथों से मुक्त होकर, जन्म-मरण से छूटकर, भगवद्-धाम वैकुण्ठ की प्राप्ति कर सकता है एवं अनन्त सुख प्राप्त कर सकता है ----- भगवान श्रीकृष्ण ।
  • एकादशी के दूसरे दिन अर्थात् द्वादशी को ठीक समय पर पारण करना चाहिये। द्वादशी में उचित समय पर व्रत को विश्राम देना चाहिए। इस प्रकार इस विधि से व्रत करने पर मोक्ष की प्राप्ति होती है  ----- भगवान श्रीकृष्ण ।
  • एकादशी पालन भगवान की शुद्ध भक्ति का अंग है, उसको न मानने से भक्ति का सर्वनाश हो जायेगा ----- भगवान श्रीचैतन्य महाप्रभु ।

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